इन्हें नहीं आती शर्म, होनी चाहिए कठोर कार्रवाई, मासूमों से करवा रहे जूठन साफ, कई बच्चों का दबा दिया बचपन
इन्हें नहीं आती शर्म, होनी चाहिए कठोर कार्रवाई, मासूमों से करवा रहे जूठन साफ, कई बच्चों का दबा दिया बचपन
Deshon Tola government school
मोहम्मद इलियास/उदयपुर
राजू और पिंटू ढाबे पर साफ सफाई व ढेर सारे जूठे बर्तन मांझ कर रोज रात 12 बजे सोते हैं और सुबह सेठ फिर से उठाकर कीचन में भेज देता है। उसके बाद से उनकी दिनचर्या शुरू होती है जो फिर से रात 12 बजे खत्म होती है। रोज जूठे बर्तन टेबल से उठाने, उन्हें मांझने, टेबल की साफ सफाई करना बीच में झपकी आए या थोड़ा सा नुकसान हो जाए तो कयामत आ जाती। सेठ की धमकी व थप्पड़ तो जैसे रोज की उनकी आदत में शुमार हो चुका था। डरे सहमे इन बच्चों को जब रेस्क्यू किया गया तो उनकी आदत के मुताबिक मुंह से निकल ही पड़ा टेबल साफ है यहां बैठो साब, कितने आदमी हो, क्या लगाऊं। उन बच्चों को रेसक्यू कर टीम ने जब उन्हें दुलार करते हुए नाम पूछे तो उनकी आंखें भर आई। हाथ में जूूठी थाली व कंधे पर गंदा कपड़ा अपने-आप ही गिर गया।यह व्यथा उन आठ बच्चों की है, जिन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मानव विरोधी तस्करी यूनिट, आसरा विकास संस्थान व बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने रेस्क्यू करते हुए बलीचा स्थित श्रीनाथ काठियावाड़़ी ढाबे से मुक्त करवाया। मौके पर 13 बच्चे मिले, लेकिन पांच बड़े निकले। इन बच्चों को प्राधिकरण की सचिव रिद्धिमा शर्मा के निर्देशन पर सीआई श्यामसिंह, हेड कांस्टेबल भानुप्रतापसिंह, आसरा के भोजराज पदमपुरा, सकाराम मेघवाल, संतोष मेनारिया मय टीम ने रेस्क्यू किया। बाल कल्याण समिति ने सभी बच्चों को आसरा विकास संस्थान के ओपन शेल्टर भेज दिया। इधर, पुलिस ने मौके पर मिले ढाबा मैनेजर उसरवास, नाथद्वारा निवासी दिनेश गुर्जर के विरुद्ध कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार किया।
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12 घंटे काम, वेतन 5 हजार
ढाबे पर मिले बच्चे सलूम्बर, चांदनी विलेज, टीड़ी व खजूरी के रहने वाले थे। उनकी उम्र महज 12 से 14 वर्ष है। तीन के तो मां-बाप ही नहीं है। इन बच्चों को ढाबे पर 12 घंटे काम करवाकर महज 5 हजार रुपए पारिश्रमिक दिया जा रहा था। इन बच्चों की ओर से लगातार काम करने से इनके चेहरे पर थकान साफ देखी जा सकती है। कुछ बच्चे बर्तन मांझने तो कुछ साफ सफाई तो कुछ खाना बनाने का काम कर रहे थे।