परिवादी का कहना है कि निगम का ठेकेदार गफ्फार के बीच पैसों का विवाद है, जिससे उसका कोई लेना-देना नहीं है। यदि समय पर उसे झूले नहीं मिले तो उसे भारी क्षति हो जाएगी। यह झूले उसे बेलगांव कर्नाटक मेले में लगाने हैं। परिवादी ने न्यायालय ने निगम को अस्थायी निषेधाज्ञा से पाबंद करने की मांग की कि वह मेला ग्राउंड में लगे हुए झूले खोलने में किसी तरह कोई बाधा उत्पन्न नहीं करे, ना ही किसी तरह की रोक-टोक करे।
प्रार्थना पत्र पर निगम के अधिवक्ता अशोक सिंघवी ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि ठेकेदार ने निगम को 38.20 लाख रुपए जीएसटी सहित भुगतान करना था लेकिन उसने नहीं किया। परिवादी का निगम से कोई अनुबंध नहीं था। न्यायालय ने सुनवाई के बाद माना कि प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।