उदयपुर . शराब की दुकानों की संख्या कम करने एवं 8 पीएम तक समय सीमा निर्धारित कर वाहवाही लूटने वाली कांग्रेस सरकार ने फिर से नई आबकारी नीति पर मंथन शुरू कर दिया है। जीएसटी लागू होने के बाद बदली परिस्थितियों में राजस्व अर्जन की दृष्टि से आबकारी अहम विभाग होने के कारण नीति में बड़े फेरबदल की संभावना बहुत कम है। जनता का दिल जीतने के लिए सरकार शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानों की संख्या को कम करने एवं उनकी ब्रांच को खत्म करने का काम कर सकती है। इसके अलावा पिछली सरकार की चहेती रही हेरिटेज होटलों की लाइसेंस फीस बढ़ सकती है। अब तक इन होटलों के मालिक थ्री स्टार होटल से भी कम शुल्क जमा करवा लाइसेंस लेकर चांदी काट रहे थे।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि हेरिटेज होटलों का किराया तो अन्य होटलों से काफी ज्यादा है लेकिन सर्वाधिक हेरिटेज होटलें मंत्रियों व रसूख वालों की होने से इनकी बार लाइसेंस की फीस काफी कम है। विभागीय अधिकारियों ने इसे बढ़ाने के लिए भाजपा सरकार के समय वर्ष 2014 में सुझाव दिया था लेकिन सरकार ने हेरिटेज होटल की लाइसेंस फीस बढ़ाने के बजाय इसे और घटाते हुए इनकी मौज कर दी थी। पांच साल तक कम फीस में महंगी शराब परोसने वालों को इस बार पॉलिसी में झटका लग सकता है।
— ग्रामीण की दुकानें व ब्रांच हो सकती है कम वर्तमान में आबकारी महकमा ही सरकारी आय का सबसे बड़ा स्रोत है। विभाग करीब आठ हजार करोड़ रुपए का सालाना राजस्व दे रहा है। माइनिंग एवं पेट्रोलियम से करीब 5-5 हजार करोड़ तथा परिवहन -पंजीयन से 4-4 हजार करोड़ रुपए की आय हो रही है। इस कारण सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा सकती है, जिससे शराब की कीमत और बढ़ जाएगी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें कम कर व पंचायत स्तर पर 15-15 हजार रुपए देकर ब्रांच खोलने के प्रावधान को समाप्त कर जनता में अच्छा संदेश दे सकती है।
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एक घंटे समय बढ़ाने की उठी मांग शराब कारोबारी सरकार से रात को 8 के बजाय 9 पीएम तक यानी एक घंटा समय बढ़ाने की मांग कर रहे ताकि आय बढ़ाई जा सके। जनता से जुड़े इस फैसले पर सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। विभागीय अधिकारियों ने सुबह एक घंटे बढ़ाने पर मंथन भी किया लेकिन दोपहर 12 बजे शराब की खरीदारों की संख्या तीन फीसदी से ज्यादा नहीं होने के कारण पीछे हट गए।