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मासूम भाई बहन को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाने की गुहार के लिए छह घंटे तक बाहर बैठा रहा भाई…

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उदयपुरNov 02, 2018 / 12:39 pm

Sikander Veer Pareek

child labour
भुवनेश पण्डया/उदयपुर . खेलने-खाने की उम्र में 12 और 14 वर्ष के भाई-बहन घर से लेकर खेतों के कई काम निपटाते हैं। मासूम बालिका को यह तक नहीं मालूम कि माता-पिता का सहारा छूटने के बाद वह इस दर पर कैसे पहुंच गई। उससे दो वर्ष बड़ा भाई इसी गांव बांसड़ा में एक दूसरे घर में बंधुआ मजदूरी कर रहा है। मजदूरी और ठोकरों से परेशान सबसे बड़ा भाई राजू भील (20) कुछ दिन पूर्व बंधुआ मजदूरी से भाग छूटा, अब वह अपने भाई और बहन को ले जाने के लिए जिला प्रशासन की चौखट पर पहुंच गया। कई दिनों से भटक रहे इस भाई को मिला तो केवल दिलासा, लेकिन उसे अब तक अपनी बहन नहीं मिल पाई। जैसे ही पत्रिका टीम को इसकी सूचना मिली तो वह वल्लभनगर क्षेत्र के बांसड़ा गांव उस घर तक पहुंची, जहां बालिका बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रही है।
दिनभर बैठा करता रहा इंतजार
बुधवार को राजू कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक से मिलने के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता मदन वैष्णव के साथ पहुंचा था, लेकिन दोनों को सुबह से शाम तक करीब छह घंटा बाहर इंतजार करना पड़ा। मल्लिक मिले तो उन्होंने दोनों को एडीएम संजय बासु के पास भेज दिया।
ये करवाया जा रहे है इन बच्चों से
ये दोनों बच्चे सुबह चार बजे उठते हैं। घर में झाडू, पोछा, बर्तन और दूसरे छोटे-मोटे कामों का जिम्मा इन्ही का है। इसके अलावा बेटी घर से करीब ढाई से तीन किलोमीटर दूर खेतों में पैदल पहुंचती है, तो वहां पर घास काटने, गोबर डालने सहित सभी का काम करती है।
ये है पूरी कहानी

भीलवाड़ा के शाहपुरा निवासी भील दम्पती की मौत के बाद उसके तीन बच्चे अनाथ हो गए। इसी मजबूरी का फायदा उठा पहले पालने-पोसने की हमदर्दी दिखाई, बाद में उन्हें बंधुआ मजदूरी की भेंट चढ़ा दिया। घर से लेकर खेत-खलिहाल के कामों में उनके बचपन को झोंक दिया गया। तीनों भाई-बहन को बांसड़ा निवासी सम्पतलाल जाट अपने ससुराल छापली (शाहपुरा) से लेकर आया। बड़े भाई राजू को सम्पतलाल ने पांच हजार रुपए दिए, जिसकी आड़ में वह पारिश्रमिक का भुगतान किए बगैर राजू और उसकी छोटी बहन से दो साल तक काम करवाता रहा। एक भाई मुकेश को इसी गांव के भगवतीलाल सुथार की आरा मशीन पर लगा दिया गया, जिसको रोटी-कपड़े के बदले पूरे घर-बाहर का काम करना पड़ रहा है। राजू ने जब सम्पत से काम की एवज में पैसे मांगे तो उसे यह नहीं देने के बजाय मारपीट की। ऐसे में वह परेशान होकर घर से भाग छूटा, अब अपने छोटे भाई-बहन को छुड़ाने के लिए द्वार-द्वार दस्तक दे रहा है।
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ये है कायदे-कानून

बंधुआ मजदूरी व्यवस्था निवारण कानून 1996 के तहत किसी को भी अग्रिम पैसा देकर मजदूरी करवाना, किसी भी काम के लिए बाध्य करना, जबरन काम करवाना, हाली के तौर पर घर में रखकर केवल भोजन पेटे काम करवाना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में बंधुआ मजदूरी करवाने पर तीन साल की सजा व दो हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
मामला जानकारी में आया है। सीडब्ल्यूसी व चाइल्ड लाइन के किसी प्रतिनिधि से चर्चा हुई है। जल्द ही कार्रवाई कर दोनों को मुक्त करवाएंगे।
— पुनाराम, थानाधिकार खेरोदा

मैंने इसे परिवार की सदस्य की तरह रखा है। उसका बड़ा भाई उसे लेने आया था, लेकिन ये जाना नहीं चाहती। इसे स्कूल भेजा लेकिन दस्तावेज नहीं होने से इसका नियमित प्रवेश नहीं हो पाया।
— संपतलाल जाट, बांसड़ा
राजू ने अपने भाई-बहन को छुड़ाने के लिए गुहार लगाई है, यह मामला गंभीर है। इसे लेकर पुलिस विभाग, सम्बन्धित थानाधिकारी, वल्लभनगर के उपखण्ड अधिकारी एवं श्रम विभाग को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
— संजयकुमार, अतिरिक्त कलक्टर शहर
बंधुआ मजदूरी का मामला है, जिसमें हाली बनाकर बिना दाम दिए दो साल तक काम करवाया गया है। बच्ची को छुड़वाकर भदेसर के आधारशिला स्कूल में सेन्टर फॉर लेबर रिसर्च एण्ड एक्शन के माध्यम से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करवा पालन-पोषण करेंगे।
— मदन वैष्णव, मानवाधिकार कार्यकर्ता

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