यह बात नगर निगम की इन्दौर से लौटी टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताई है। रिपोर्ट पर महापौर चन्द्रसिंह कोठारी व आयुक्त सिद्धार्थ सिहाग ने चर्चा की तथा इन्दौर पैटर्न की प्रमुख बातों को यहां लागू करने पर विचार किया जा रहा है। टीम ने बताया कि इन्दौर के गली-मोहल्लों में खुले कचरे पात्र कहीं नहीं हैं और सिटी पूरी तरह से साफ-सुथरी बनी हुई है। इन्दौर गई टीम में स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष ओमप्रकाश चित्तौड़ा, स्वास्थ्य अधिकारी नरेन्द्र श्रीमाली सहित कनिष्ठ अभियंता व स्वास्थ्य निरीक्षक शामिल थे।
व्यापारियों ने भी किया सहयोग
इंदौर के बाजारों में दुकानों, शोरूम, फाइव स्टार होटल्स के बाहर सूखे व गीले कचरे के लिए डस्टबिन लगाए गए हैं। दुकानदार हो या ग्राहक सब कचरा डस्टबिन में ही डालते हैं। शुरू-शुरू में तो सबको प्रेरित किया गया मगर अब कोई कचरा सार्वजनिक स्थान पर डालता है तो उसे टोकने में भी देरी नहीं की जाती है। धीरे-धीरे कचरा पात्र में ही डालना सबकी आदत बन गया।
चौपाटी पर तीन बार होती है सफाई
इन्दौर के सर्राफा बाजार में जो चौपाटी है, वह रात भर चलती है। वहां पर तीन बार साफ-सफाई होती है। इंदौर नगर निगम (आईएमसी) वहां पर साफ-सफाई पर पूरा ध्यान देती है, जिसका परिणाम है कि वहां रात को इतनी भीड़ होने के बावजूद स्वच्छता की स्थिति बहुत बेहतर है।
इन्दौर को लेकर जो फीडबैक आया है, उस पर हम चिंतन कर रहे हैं। कैप्सुल कॉम्पेक्टर वाला कन्सेप्ट अच्छा लगा है। यह प्रयास करेंगे कि उदयपुर में भी इस तरह की व्यवस्था करें ताकि साफ-सफाई को लेकर हम बेहतर काम कर सकें।
सिद्धार्थ सिहाग, आयुक्त नगर निगम