नगर निगम घोटाला: लापरवाही सबकी, मुकदमा दर्ज 7 को थमाए नोटिस
नगर निगम घोटाला: लापरवाही सबकी, मुकदमा दर्ज 7 को थमाए नोटिस
नगर निगम घोटाला: लापरवाही सबकी, मुकदमा दर्ज 7 को थमाए नोटिस
मोहम्मद इलियास/उदयपुर
नगर निगम में भाड़े पर लिए वाहनों के फर्जी बिलों के भुगतान उठाने का मामला उजागर होने के बाद हडक़ंप मच गया। स्वास्थ्य व गेराज शाखा में आरोप प्रत्यारोप के बीच एक दूसरे पर आरोप तक मढ़े गए। महापौर ने मामले में प्रथम दृष्टया लापरवाही मानते हुए जिम्मेदार गेराज अधीक्षक सहित सात स्वास्थ्य निरीक्षकों को कारण बताओ नोटिस थमाए है। इधर, आयुक्त ने गड़बड़झाले के संबंध में सूरजपोल थाने में रिपोर्ट दी है। नगर निगम द्वारा किराए पर लिए गए वाहनों के संचालक द्वारा फर्जी बिल बनाकर भुगतान उठाने का मामाला गुरुवार को उजागर हुआ था। राजस्थान पत्रिका ने नगर निगम: भाड़े पर लिए वाहनों के बिलों मेंं भारी गालमेल, फर्म ब्लेक लिस्टेड शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशन के दूसरे दिन महापौर गोविंद सिंह टांक के निर्देश पर संचालक सेन्ट्रल एरिया स्थित मैसर्स सतीश सुहालका कांन्ट्रेक्टर के खिलाफ सूरजपोल थाने में धोखााधड़ी, राजस्व चपत की रिपोर्ट पेश की गई। –इन्हें थमाए गए नोटिस गड़बड़झाले की प्रारंभिक व आंशिक जांच में लापरवाही उजागर होने पर महापौर ने गैराज अधीक्षक लखनलाल बैरवा के अलावा स्वास्थ्य निरीक्षक श्यामलाल छापरवाल, कमलेश चनाल, मोहम्मद फारुख, मोहम्मद यासीन, महेश सरसिया व मदन केसरिया को नोटिस देने के आदेश दिए।
—
स्वास्थ्य शाखा ने जुड़े लोगों ने रखे अपने तर्क
– गेराज शाखा से ही किराए के लिए वाहनों का टेंडर हुआ, काम के लिए गाड़ी भी उन्होंने उपलब्ध करवाई, भुगतान भी उनके सत्यापन पर हुआ तो समस्त जिम्मेदारी भी उसी शाखा की है।
– शहर में जहां गाड़ी की जरुरत थी तो उच्चाधिकारियों के आदेश पर वह मौके पर पहुंची। गेराज में वापस गाड़ी लौटने पर हिसाब किताब का जिम्मा भी उसी शाखा का था।
– स्वास्थ्य शाखा में टेम्पो, डम्पर व जेसीबी की जरुरत पड़ी, बाकी अन्य भारवाहक वाहन कहां चले यह तो गेराज समिति ही बता सकती है। —गेराज शाखा के जुड़े लोगों के तर्क
– स्वास्थ्य शाखा की मांग पर उन्होंने गाडिय़ां भेजी। गाडिय़ां कितनी देर चली व कहां चली उसका सम्पूर्ण लेखा-जोखा फील्ड में मौजूद स्वास्थ्य शाखा के अधिकारियों व कार्मिकों ने दिया, उसी अनुसार भुगतान किया गया।
– गेराज से वाहन भी किसी की मर्जी से नहीं बल्कि मांग के अनुसार भेजे गए। हर वाहन का अलग-अलग हिसाब मौजूद है और उन्हें काम में लेने वालों के अलग से कागजों में हस्ताक्षर भी है।
– किराए पर ली गाड़ी का फील्ड ऑफिसर ही काम में ले रहे थे, उन्हें ही गाडिय़ों के कितनी देर तक चलने से लेकर काम होने तक की जानकारी होती है।
—
सवाल जो मांगते जवाब
– गाड़ी गेराज से निकलने के बाद जब लौटी तो जिम्मेदार ने क्या किया?
– गेराज से गाड़ी बाहर निकलने के बाद अगर नम्बर नोट हुए तो वे बाद में बाइक के कैसे निकले?
– गाड़ी को काम में लेने वाले फील्ड ऑफिसरों ने तीन से चार माह बाद बिलों पर हस्ताक्षर क्यों किए?- गाड़ी गेराज से निकलने पर एन्ट्री से बिलों का मिलान क्यों नहीं किया गया?- ठेकेदार ने देरी से बिलों को क्यों पेश किया?
– जो भी मामले में दोषी है उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो क्योंकि पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का था, दोषी बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?
—
यह था मामला
नगर निगम ने निविदा के आधार पर 31 मई 2021 से 30 मई 2022 तक एक वर्ष के लिए सेन्ट्रल एरिया स्थित मैसर्स सतीश सुहालका कांन्ट्रेक्टर से एक्केवेटर कम लोडर, डम्पर, चैन माउंटिंग मशीन, जेसीबी ब्रेकर एवं डोजर डी-50 वाहन किराए पर लिए थे। ठेकेदार ने कार्य के बाद जून 2021 के कार्यो के बिल पेश किए, जिस पर उसे 15 लाख 75 हजार 466 रुपए का भुगतान किया गया। उक्त भुगतान के बिलों में गड़बड़झाला की शिकायत पर उसकी जांच की। बिलों में जिन वाहनों के नम्बर लिखे थे उनके परिवहन कार्यालय से तस्दीक की तो डम्पर की बजाए दो बाइक निकली तथा दो कम क्षमता के वाहन निकले जबकि उसके एवज में अधिक क्षमता दिखाकर भुगतान उठाया गया था। — —
Home / Udaipur / नगर निगम घोटाला: लापरवाही सबकी, मुकदमा दर्ज 7 को थमाए नोटिस