
उदयपुर . शिक्षा क्षेत्र में आदर्श कहे जाने वाले प्रदेश के राज्य शैक्षणिक अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान (एसआईईआरटी) की ओर से उसके परिसर में खड़े हरे वृक्षों को काटने के मामले में तथ्यों को छिपाने का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं लोगों की सजगता से हकीकत खुलने के भय से संस्थान ने गलती को दबाने के लिए वृक्षों को जलाऊ लकड़ी बताकर राजस्व महकमे में नीलामी प्रक्रिया का ढोंग भी कराया। जड़ से काटे गए वृक्षों के ऊपर कांच रखकर तथ्य छिपाने के लिए यहां ढेरों जतन किए गए।
यह मामला अभी चर्चा में ही था कि संस्थान ने फिर परिसर में लग रहे बांसों को परेशानी बताते हुए कटाने के लिए तहसीलदार से अनुमति मांगी है। हद तो तब हो गई, जब पटवारी में रिपोर्ट में बांस की जगह गुलमोहर के वृक्ष बताकर उसे छंटाने की हिदायत दी। तथ्य छिपाकर प्रशासनिक अमले को गुमराह करने का यह मामला तूल पकड़ रहा है।
जानकारी में नहीं
मैंने गत दिनों ही पदभार संभाला है। अब तक मेरे पास ऐसा कोई मामला नहीं आया है। प्रार्थना-पत्र इस तरह का आता है तो जांच परख कर कार्रवाई की जाएगी।
वीरभद्रसिंह चौहान, तहसीलदार, बडग़ांव
पहले का मामला
हरे वृक्षों की कटाई का मामला तत्कालीन उप निदेशक (प्रशासन) अशोक सिंधी के कार्यकाल का है। मुझे फिलहाल इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है। सिंधी ही इस बारे में सही कारण बता सकते हैं।
नारायणलाल प्रजापत, उप निदेशक (प्रशासन), एसआईईआरटी
मामले के खुलासे के बाद मजबूरी में बताई लकडिय़ों की नीलामी
केस नंबर :1
4 मार्च 2016 को देवाली हॉस्टल में विभाग की रिक्त भूमि पर पार्किंग विकसित कराने के नाम पर बिलायती बबूल एवं झाडिय़ां कटाने की अनुमति मांगी गई। इसके बदले जलाऊ लकड़ी के नाम पर बडग़ांव तहसीलदार कार्यालय में 5050 रुपए का राजस्व जमा हुआ। इधर, संस्थान परिसर में कटे हुए बड़े वृक्षों को प्रशासनिक अमले ने ढंकने का प्रयास किया ताकि वृक्ष से पुन: शाखाएं नहीं फूट जाएं। साथ ही कटे हुए ठूंठ दिखाई नहीं दें।
केस नंबर :2
22 अप्रेल 2016 को संस्थान परिसर में ब्लॉक ‘ए’ बिल्डिंग के पीछे वृक्षों को परेशानी बताते हुए इसे कटाने के लिए अनुमति मांगी। पटवारी ने उसकी रिपोर्ट में भौतिक तथ्यों को बताने की बजाय लिखा कि मंत्रालयिक कर्मचारी ने बताया कि 7 अशोक के वृक्ष हैं, जिनकी लंबाई 30 फीट से अधिक है। पटवारी ने संबंधित वृक्ष स्थल का पता भवन ग्राम देवाली खसरा नंबर 2767 होना बताया।
बाद में नीलगिरी के वृक्ष को इमारती लकड़ी नहीं होना बताया। सवाल यह उठता है कि अशोक के वृक्ष लचकदार होते हैं, जिनके गिरने की संभावना नगण्य होती है। दूसरी ओर यह वृक्ष वजनदार भी कम होते हैं और स्पेस भी कम घेरते हैं। नीम की ही तरह इस वृक्ष को आयुर्वेद में शुद्ध वायु से जोडकऱ देखा जाता है।
केस नंबर :3
15 जुलाई को संस्थान ने गिर्वा तहसीलदार के नाम खत भेजा। इस बार क्षेत्राधिकार की वजह से 27 जुलाई को मामला बडग़ांव तहसीलदार तक पहुंचा। प्रार्थना-पत्र में बताया कि संस्थान परिसर में बांस के वृक्षों को कटाने की अनुमति मांगी। इस पर पटवारी ने टिप्पणी दी कि राजकीय आवास कॉलोनी राजस्व देवाली खसरा नंबर 2770 में 3 गुलमोहर के पेड़ खड़े हैं। उसकी ओर से मामले में वृक्षों को कटाने या फिर छंगाई कराने की अनुशंसा की गई। हालांकि, इस मामले में तहसीलदार की ओर से वृक्ष कटाई की अनुशंसा नहीं की गई।
Published on:
06 Nov 2017 11:48 am
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