चार साल पहले भी बने हालात
मेनार के धण्ड तालाब में चार साल पहले भी ऐसे हालात बने थे, लेकिन उस समय तक प्रवासी पक्षियों की आवाजाही कम थी। बीते दो-तीन सालों में प्रवासी पक्षी बढ़े, लेकिन पर्याप्त पानी होने से तालाब नहीं सूखा। पिछले साल के मानसून में बरसात कम होने से इस बार हालात विकट हैं।
प्रवासी पक्षियों की चिंता
मेनार पक्षी विहार के धण्ड तालाब पर मछलियों का मरना प्रवासी परिंदों के लिए चिंता का विषय है। गौरतलब है कि यहां के तालाब पर सर्दियों में बड़ी तादाद में प्रवासी पक्षी आते हैं। नवम्बर में आने वाले प्रवासी पक्षी मार्च तक डेरा जमाए रहते हैं। सुरक्षित प्राकृतिक वातावरण के साथ ही जलीय जीवों की भरपूत तादाद के कारण प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी रहती है।
मछलियों को बचाने के लिए पर्याप्त पानी की जरुरत है। जल स्तर घटता है तो ऑक्सीजन भी कम होती है। जलीय जीवों के लिए 5 मिलीग्राम प्रति लीटर ऑक्सीजन की जरुरत होती है, लेकिन यहां कम पानी होने से 1.9 मिलीग्राम प्रति लीटर ऑक्सीजन ही है। जल स्तर घटने के साथ ही गर्मी से ऑक्सीजन की कमी मछलियों के मरने का कारण है।
दर्शना दवे, शोधार्थी, बीएन विवि उदयपुर
डॉ. सतीश शर्मा, वन्यजीव विशेषज्ञ
पानी और उसमें भी ऑक्सीजन की कमी से मछलियों की मौत हो रही है। इस तरह मछलियों का मरना चिंताजनक है। पक्षियों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए तालाब किनारे को गहरा करने की जरूरत है।
डॉ. एल.एल. शर्मा, पूर्व डीन, फिशरिज कॉलेज, उदयपुर