उदयसागर से जिंक को पानी देने में गड़बड़ी, स्वीच से ऑपरेट होता मिला मीटर
उदयपुर. उदयसागर से हिन्दुस्तान जिंक को पानी देने के मामले की आकस्मिक जांच करने गुरुवार को मावली विधायक धर्मनारायण जोशी पहुंच गए। उन्होंने जांच में पाया गया कि पानी के मीटर को स्वीच से काबू किया जा रहा था। बाद में पम्पिंग स्टेशन व ऑपरेशन रूम सील चस्पा करवाया गया। यह प्रक्रिया करीब साढ़े पांच घण्टे तक चली।
विधायक जोशी गुरुवार दोपहर एक बजे बिछड़ी उपसरपंच लोकेश पालीवाल, भाजपा नेता विजय प्रकाश विप्लवी व देबारी मण्डल उपाध्यक्ष दीपक डांगी के साथ मौके पर पहुंचे। विधायक ने कलक्टर चेतन देवड़ा को कॉल करके जल संसाधन विभाग व जिंक के अधिकारियों को मौके पर बुलाया। विभाग व जिंक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में पम्पिंग स्टेशन को चलाकर देखा गया। विधायक ने बताया कि जिंक में पानी की सप्लाई के दौरान भी उसे स्वीच से काबू करने की तकनीक पकड़ में आई, जिससे मीटर में खपत जिंक अपनी सुविधानुसार दिखा सके। विधायक ने बताया कि पम्पिंग स्टेशन की चाबी लाने में देरी की। जिंक अधिकारियों ने करीब साढे चार घण्टे तक टालमटोल के बाद पम्पिंग स्टेशन खोला।
पूरा सिस्टम जिंक के कब्जे में विधायक जोशी ने कहा कि पम्पिंग स्टेशन, ऑपरेशन रूम व मीटर रूम भी पूरी तरह जिंक के कब्जे में पाए गए। जहां सरकारी अधिकारी भी नहीं जा सकते। मौके पर मौजूद जल संसाधन विभाग के कर्मचारी ने जोशी के पूछने पर बताया कि मीटर रीडिंग हिन्दुस्तान जिंक के रजिस्टर से हमारी रजिस्टर में लिखवाई जाती है। मौके पर जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियन्ता विनीत शर्मा, सहायक अभियन्ता जीवन राम मीणा, कनिष्ठ अभियन्ता जगदीश डांगी, जिंक के अधिकारी विजय पारीक, शिव भगवान, राजन मिश्रा व महेन्द्र सिंह मौजूद थे।
पानी जनता के लिए जोशी ने बताया कि जिंक को उदयसागर से पानी देने का करार दिसम्बर 2020 में समाप्त हो रहा था, तब नवम्बर 2020 में उन्होंने स्वयं ने, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया सहित सांसदों व विधायकों ने मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन देकर करार आगे नहीं बढ़ाने की मांग की थी। अधिकारियों ने भी मांग पर अपनी रिपोर्ट में करार आगे नहीं बढ़ाने की अनुशंसा की थी। यह पानी मावली की जनता व खेतों को देने के बजाय गहलोत सरकार ने कम्पनी के प्रभाव में आकर करार बढ़ा दिया है। उन्होंने पूरा मामला संविदा भंग, धोखाधड़ी व पानी चोरी का बताते हुए कानूनी कार्रवाई और अनुबंध शून्य कराने की मांग की।
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