इधर, हालात ये है कि महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू ‘है या नहींÓ इसकी जांच के लिए हजारों की तादाद में मरीज पहुंच रहे हैं। खास बात ये है कि ६० से ७० प्रतिशत मरीज निजी हॉस्पिटलों से जांच के लिए आ रहे हैं। जबकि दूसरी ओर जिस मरीज को वास्तविक जांच की जरूरत है, उसमें देरी होने से समस्या बढ़ रही हैं। एेसे में चिकित्सालय प्रशासन अब इसे नियंत्रित करने के लिए नया फंडा लेकर आया है।
—— एकमात्र मशीन पर बढ़ा भार जिले में एकमात्र मशीन आरटी पीसीआर केवल आरएनटी मेडिकल कॉलेज में है। टेस्ट के लिए बढ़ते मरीजों की संख्या के चलते हालात ये हैं कि इस मशीन में स्वाब टेस्ट के लिए चार से पांच-पांच दिन तक नमूनों को संग्रहित रखना पड़ रहा है। एेसे में जिस मरीज का स्वाब पहले दिया गया है उसकी रिपोर्ट भी उसे कई दिनों बाद मिल रही है।
गौरतलब है कि इस मशीन में एक दिन में केवल ११ या १२ नमूनों की ही जांच हो सकती है। एक जांच को पूरी करने में कई घंटे लगते हैं। लेकिन, एक दिन में सैंकड़ों मरीज अपनी पर्ची लेकर जांच के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सालय प्रशासन का मानना है कि यदि ये ही हाल रहा तो रिपोर्ट देने में एक सप्ताह से भी अधिक समय लग सकता है।
—– सरकार ने मरीजों की संख्या कम करने के लिए स्पष्ट किया है कि जांच अब एेसे ही मरीजों की लिखी जाए, जो केटेगरी सी में आते हैं। यानी, केटेगरी ए और बी वालों को जरूरत पर दवा दी जाए। इसे लेकर सरकार से लेकर अधीक्षक डॉ. पोसवाल ने आदेश जारी किए हैं।
READ MORE : video: एक हजार करोड़ का बकाया: अब खड़ी हो सकती है सरकार की परेशानी केवल सी श्रेणी की जांच: ए श्रेणी : जिन्हें हल्का बुखार, खांसी, गले खराब, बदन दर्द, सिरदर्द व अतिसार की शिकायत। एेसे रोगियों को ओसेल्टामिविर दवा देने की जरूरत नहीं है।
बी श्रेणी : तेज बुखार, गले में तकलीफ हो तो उसे ओसेल्टामिविर दवा दी जाए। साथ ही उसे अन्य सदस्यों से अलग रखा जाए। हां, यदि रोगी ६५ वर्ष से अधिक हो, गर्भवती महिला अथवा फेफडे़, हृदय, यकृत, गुर्दा, कैंसर, मधुमेह, एड्स से ग्रस्त रोगियों को तत्काल दवा देनी चाहिए।
सी श्रेणी : अब व ब श्रेणी के साथ ही यदि मरीजों को श्वास लेने में कठिनाई हो रही हो, छाती में दर्द हो रहा हो, सुस्ती, निम्न रक्तचाप व बलगम के साथ खून आ रहा हो तो और रोगी लगातार कमजोर हो रहा हो तो उसे जांच करवा भर्ती रखा जाना चाहिए।
—– इनका कहना है.. हमने आदेश जारी किया है कि केवल सी श्रेणी के मरीज की ही जांच लिखी जाए। निजी हॉस्पिटलों से जांच मरीजों की संख्या अधिक होने से भी परेशानी बढ़ रही है। एेसे में जिसे तत्काल जरूरत है उसे इन्तजार करना पड़ता है।
– डॉ. लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर