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उदयपुर

बर्ड विलेज मेनार तालाब पर संकट के बादल , पानी आवक के रास्ते बाधित

हाइवे क‍िनारे डाला वेस्‍ट मटेर‍ियल, कैसे भरेगा पक्षी व‍िहार तालाब

उदयपुरJul 06, 2020 / 05:08 pm

madhulika singh

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उमेश मेनारिया/मेनार. प्रवासी पक्षियों की शरण स्थली के रूप में विश्वविख्यात हुए बर्ड विलेज मेनार के जलाशयों पर एक बार फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैंं। समय रहते नहींं चेते तो इस बार ब्रह्म सागर तालाब (भरमेला ) तालाब खाली रह जाएगा वहींं इसी तालाब के ओवरफ्लो पानी पर आश्रित धण्ड तालाब के भरने पर भी संकट पैदा हो जाएगा। मेनार के समीपवर्ती माल क्षेत्र इलाके में चल रहे सिक्स लेन विस्तार के तहत निर्माण कार्योंं में ठेकेदार द्वारा गंभीर लापरवाही सामने आई है। ठेकेदार की मनमर्जी से अब बारिश के बाद हालात गम्भीर होने वाले है । क्षेत्र में बारिश शुरू हो चुकी है लेकिन पानी आवक के प्राकृतिक फिलहाल बन्द है। कस्बे के ब्रह्मम सागर (भरमेला) में बारिश का पानी आवक के प्राकृतिक नाले के बहाव क्षेत्र में ठेकेदार द्वारा फोरलेन से सिक्स लेन विस्तार के लिए तोड़ी गई पुरानी सड़क , पुलिया एवंं डिवाइडर को तोड़कर साइड किया वेस्ट मटेरियल पानी आवक के बहाव क्षेत्र के बीच प्राकृतिक नाले में लाकर डाल दिया है । वहींं गत वर्ष उदयपुर चितौड़गढ़ मार्ग पर नवानिया से लेकर मेनार तीन मुखी पुलिया तक बनाया गया कच्चा नाला भी जगह जगह से अवरुद्ध हो चुका है । हाइवे निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क निर्माण का कार्य तो जारी है लेकिन बारिश के पहले एजेंसी द्वारा ना तो प्राकृतिक नालों की सुध ली गई है ना इनके बीच में डाला गया वेस्ट मटेरियल हटाया गया है । यहां तक नवानिया से लेकर मेनार तक पानी निकासी के अंडर पुलिया बॉक्स के मुहानों पर मलबा पड़ा है उनकी सफाई भी नहींं की गई है। यहां तक खेतोंं के मुहाने और पुलियाओं के आस-पास की मिट्टी को भी नहींं हटाया गया है । वहींं कुछ खेत मालिकों ने नाले के बीच बिना पाइप डाले रास्ता बना लिया है । ऐसे में समय रहते बारिश से पहले इन अवरूद मार्गोंं को नहींं खुलवाया गया तो मेनार के दोनों तालाबों में बारिश का पानी नहींं आएगा।
क्षेत्र में सबसे बड़ा तालाब है ब्रह्मम सागर
पक्षी विहार धण्ड तालाब कम गहरा होने से वहां छिछला पानी रहता है जिसे पक्षी अधिक आते हैंं ये तालाब 192 बीघा में फैला हुआ है इसकी पाल की लंबाई 1 किलोमीटर के करीब है। वही ब्रह्म सागर तालाब 306 बीघा क्षेत्रफल में फैला हुआ है। ये अधिक गहरा है इसके ओवरफ्लो होने पर इसका पानी 2 किलोमीटर दूर हाइवे को छूता है। इन तालाबोंं पर करीब दस हजार की आबादी के अलावा हजारों जलीय जीव जन्तुु निर्भर है, जिनके लिए पूरे वर्ष पानी उपायोग का यही एकमात्र स्त्रोत है ।
खेतों में भरा रहेगा पानी , बर्बाद हो जायेगी फसलें

बारिश के पानी आवक के तमाम रास्तों पर सफाई कर मलबा नही हटाया गया तो माल क्षेत्र से बहकर आने वाला पानी खेतो में ही भरा रहेगा ऐसे में सालभर में बारिश के मौसम में ली जाने वाली एकमात्र फसल की बुवाई पर भी संकट पैदा हो जाएगा। क्योंंकि माल क्षेत्र में सैैकड़़ा़ेें बीघा पर खरीफ फसल की बुवाई के जाती है जो सालभर में इन खेतों में एक ही फसल ली जाती है । वहींं जिन किसानों ने बुवाई की है उनके सड़ने का खतरा मंडरा जाएगा।
इनका कहना है :

हमने गत वर्ष भी बारिश से पहले नाले की सफाई करवाई थी । अगर इस बार नाले में मलबा डाला है तो उसे तुंरत हटवाकर साफ सफाई करवा दी जाएगी।
पराग श्रीवास्तव ,डिप्टी मैनेजर , हाइवे प्रोजेक्ट लिमिटेड

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