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उदयपुर

सुंदर बावड़ी झेल रही है कुरुपता का दंश

well 11 सौ साल पुरानी बावड़ी पर संकट के बादल

उदयपुरNov 17, 2019 / 02:03 am

Sushil Kumar Singh

सुंदर बावड़ी झेल रही है कुरुपता का दंश

सुंदर बावड़ी झेल रही है कुरुपता का दंश

उदयपुर/ फलासिया. क्षेत्र के बिछीवाड़ा में 11 सौ साल पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी पर उपेक्षा का संकट गहरा रहा है। प्रशासनिक अनदेखी के बीच इस बावड़ी का भविष्य मुसीबतों से घिर गया है। कभी पूरे क्षेत्र को पानी पिलाने में सक्षम इस बावड़ी की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। गंदगी और कूड़े-करकट से टी इस बावड़ी को लेकर प्रशासनिक अमले के पास भी कोई कार्ययोजना नहीं है। दूसरी ओर आधुनिक सुविधाओं एवं घर तक पेयजल लाइनों की सुविधा ने लोगों के बीच भी इस बावड़ी को उपेक्षित बना रखा है। लोगों की मानें तो प्रशासनिक स्तर पर करीब 20 साल पहले स्वच्छता कार्यक्रम के तहत बावड़ी की सुध ली गई थी। रखरखाव के अभाव में पत्थरों और ईंटों से बनी इसकी दीवारें अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बावड़ी के भीतर भैरवजी गातोडज़ी का स्थान भी बना है। कभी कभार स्थानीय लोग यहां पूजा अर्चना करते भी देखे जाते हैं।
जैसलमेर दरबार की ***** के नाम पर बावड़ी
बिछीवाड़ा की इस बावड़ी से जुड़े इतिहास को बताते हुए गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि मुगलों के आक्रमण के समय जैसलमेर दरबार गोविन्द सिंह मेवाड़ मेें आ गए थे। तब लम्बे समय तक गोविन्द सिंह बिछीवाड़ा गंाव व आस पास के इलाकों में रूके थे। तभी उन्होंने यहांं पर गोविन्द श्यामजी के मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के पास ही एक बाग व इस बावड़ी का निर्माण कराया था। दरबार उनकी ***** सुन्दर बाई से बहुत प्यार करते थे। इसी कारण उन्होंने बावड़ी का नाम सुन्दर बाव व बगीचे का नाम सुन्दर बाग रखा था, जिसकी आज भी उसी नाम से पहचान है।
मानते थे गंगा का चौथा पाया
बिछीवाड़ा की यह सुन्दर बावड़ी एक समय में पूरे गांव के अलावा समीपवर्ती लोगों की जरूरतों का केंद्र थी। दूरदर्शिता को ध्यान में रखकर बनाई गई बावड़ी की सीढिय़ों से कई बार पानी बहता हुआ भी देखा गया है। इससे पता चलता है कि बावड़ी का ग्राउंड लेवल उस समय से बहुत अच्छा था। स्थानीय लोगों के बीच इस बावड़ी की पहचान गंगा के चौथे पाए के तौर पर भी रही है।
पंचायत हो तैयार
ग्राम पंचायत अगर, बावड़ी की देखभाल का जिम्मा उठाए तो स्थानीय ग्रामीण यहां श्रमदान करने को भी तैयार है। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सबको प्रयास करने चाहिए।
दूर्गाशंकर शर्मा, पुजारी गोविंद श्याम मंदिर, बिछीवाड़ा
पुराने स्वरूप में लाएंगे
बावड़ी की सार संभाल के लिए ग्रामीण युवाओं के अलावा ग्राम पंचायत तथा कुछ भामाशाहों का सहयोग लेंगे। इसे पुराने स्वरूप में निखारने के प्रयास करेंगे।
महेंद्र औदीच्य, भाजपा देहात जिला महामंत्री
नहीं रही निर्मलता
इस बरसात में सुंदर बावड़ी में पानी आया है। लगातार पानी बाहर नहीं निकलने से बावड़ी के पानी में पहले जितनी निर्मलता नहीं रह गई है। आज भी बिछीवाड़ा में माह में चार बार नल नहीं आते। ऐसे में बावड़ी की सार संभार समय पर हो जाए तो लोगों को राहत मिलेगी।
नंदू भाई, स्थानीय क्षेत्रवासी

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