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video : उदयपुर के इन गांवों में युवाओं को लग गई है ये कैसी लत

किराने की दुकान पर मिलती है खांसी की दवा, केवल मोड़ी गांव में प्रतिदिन बिकती है 4सौ सिरप

उदयपुरMay 20, 2019 / 02:34 pm

Sushil Kumar Singh

udaipur

उदयपुर के इन गांवों में युवाओं को लेकर गई है ये कैसी लत

उदयपुर/ मेनार. उदयपुर का ग्रामीण युवा नशे के शिकंजे में जकड़ता जा रहा है। सर्दी-जुकाम व खांसी के नाम पर मेडिकल स्टोर में आसानी से उपलब्ध खांसी की तरल दवा (सिरप) की एक पूरी बोतल पीकर नशे में डूबकर खुद का भविष्य खत्म कर रहे हैं। महज 16 से 30 वर्ष आयु के युवा में इसी लत को देखते हुए कुछ विशेष ब्रांड की ये दवाएं अब किराने की दुकानों पर भी खुले में बिक रही है। दवा पर अंकित मूल्य से अधिक दामों में इस दवा को बेचकर व्यापारी मनमानी वसूली कर रहे हैं। वल्लभनगर तहसील के मोड़ी, मजावड़ा, बिछावेड़ा, बचेड़ी, भमरासिया, रोहिखेड़ा, बाठेड़ा, अडि़ंदा, भूतपुरा गांवों में इस तरह दवा को नशे के रूप में उपयोग में लेने का मामला सामने आया है। ओनरेक्स दवा के डोज के रूप में युवाओं ने नशे का नया विकल्प तलाशा है। इससे पहले इसी तरह की दवा कोरेक्स पर प्रतिबंध लग चुका है। खास यह है कि चिकित्सक की दवा पर्ची पर बिकने वाली यह दवा बिना किसी परामर्श के खरीदी व बेची जा रही है। एक खुलासे के अनुसार केवल मोड़ी गांव में प्रतिदिन 400 खांसी की सिरप बिक रही है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में भी इसका खुलासा हुआ है।
अकेले मोड़ी में बहुतायत खपत
तरल दवा की खपत के अनुमानित आंकड़ों पर गौर करें तो मोड़ी गांव में प्रतिदिन400 खांसी की सिरप खुले में बिक रही है। मामले की पड़ताल पर सामने आया कि ये दवाएं मेडिकल स्टोर पर बिना किसी परामर्श पर्ची के उपलब्ध है। किराने की दुकानों पर भी लेबल हटाकर इन दवाओं को एक सौ रुपए प्रति शीशी बेचा जा रहा है।
रोकता है एनडीपीएस एक्ट
क्षेत्रभर में नशामुक्ति के क्षेत्र में कई संगठन काम कर रहे हैं। बावजूद इसके संगठन और संबंधित अधिकारी उदयपुर ग्रामीण में जहर की तरह फैल रहे नशे को लेकर मूकदर्शक बने हुए हैं। नियमानुसार बिना परामर्श पर्ची के इन दवाओं को बेचना मना है। शिड्युल एचवन के मुताबिक परामर्श देने वाले चिकित्सक और दवा विक्रेता को तीन वर्ष का डाटा रखना होता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से लागू शिड्युल एनडीपीएस नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज 1985 एक्ट के तहत कुछ दवाओं को बिना परामर्श पर्ची के देना प्रतिबंधित है।
जुगाड़ और लक्षण
नशे के आदतन हो चुके किशोर व युवा वर्ग की स्थिति यह है कि वह पूरे दिन नशे के शौक को पूरा करने के लिए दवा जुटाने की व्यवस्था में लगे रहते हैं। कार्य क्षमता बढ़ाने और तनाव घटाने के नाम पर युवा इस नशे को करते हैं। उत्सुकता, जिज्ञासा, अकेलापन, तनाव, खेलकूद, पढ़ाई आदि में अरुचि, भूख न लगना, शरीर कमजोर होना, बदन कांपना, आंखें लाल रहना, जुबान लडख़ड़ाना, रात को नींद न आना, चिड़चिड़ापन, चोरी व झूठ बोलने की आदत पडऩा, स्मरण शक्ति कमजोर इस नशे के लक्षण हैं।
इनका कहना है
तरल दवा की खाली बोतलें कई जगहों पर दिखती हैं। मेडिकल स्टोर में अवैध तौर पर बिकने वाली दवाओं पर विभाग की सख्ती के बाद असर दिखा भी सही, लेकिन अब चोरी छिपे दवा बेचने की शिकायतें मिल रही हैं। कुछ युवा बाहर से भी खरीदकर लाते हैं।
डॉ. नेत्रपाल सिंह
चिकित्साधिकारी, राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मोड़ी
ये कार्रवाई करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। ड्रग कंट्रोलर एवं मेडिकल लाइसेंस जारी करने वाला विभाग की कार्रवाई के लिए सक्षम है।
डॉ. महेंद्र लौहार, ब्लॉक मुख्य चिकित्साधिकारी, भींडर- वल्लभनगर

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