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World Book Day Special : तकनीक क्रांति में भी जिंदा है किताबों का महत्व, युुुुवा इस तरह जुड़़े़े हैं..

locationउदयपुरPublished: Apr 23, 2019 03:29:24 pm

Submitted by:

madhulika singh

यूथ का किताबों से अब ई-कनेक्शन

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राकेश शर्मा राजदीप/ पायल सिसोदिया. उदयपुर . एक जमाना था जब किसी व्यक्ति की किताबों का संकलन देखकर ही सहज उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता था। ठीक वैसे ही आज किसी के मोबाइल की कॉलर ट्यून या रिंग टोन के साथ उसके मैसेज बॉक्स में आए संदेश भी उसकी चारित्रिक और मानसिक अवस्था को रेखांकित करते हैं।
कहते हैं कि किताबें आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही उसकी पहचान भी होती है। किसी लेखक ने लिखा है ‘ऐसी पुस्तक जो आप दिल से पढऩा चाहते हैं, लेकिन जो अब तक लिखी न गई हो तो आपको चाहिए कि आप उसे जरूर लिखें।’ वास्तव में अगर किताबें न हों तो बहुत से कार्य तो हमारे अधूरे ही रह जाएंगे। ज्ञान, मनोरंजन और अनुभव की बात कहती ये किताबें यूं ही नहीं याद आती हैं। इनके पन्नों पर लिखा जीवन का हर अर्थपूर्ण अनुभव यदि सहेज लिया जाए तो आने वाला कल यकीनन और सुंदर तथा यादगार बन जाएगा। शहर में करीब छह दशक पुराना पुस्तकालय जगदीश चौक में संचालित रहा। जहां करीब 70 हजार पुस्तकों तथा क्षेत्रीय भाषा के साथ विदेशी पुस्तकों का संग्रह भी था। इसी पुस्तकालय में बैठकर अध्ययन करके शहरभर से सैकड़ों लोगों ने चिकित्सक, इंजीनियर्स, सीए के अलावा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाई। तो कई शोधार्थी सहित स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों ने अपने प्रोजेक्ट पूरे किए।
इसके अलावा, गुलाबबाग स्थित सरस्वती लाइब्रेरी, अशोक नगर स्थित वीणा वादिनी पुस्तकालय, कॉलेज ऑफ साइंस लाइब्रेरी, सूचना केंद्र जैसे अन्य पुस्तकालयों में विद्यार्थी, शोधार्थी और पुस्तक प्रेमी नियमित अध्ययन करते हैं। बेशक, आज युवा इंटरनेट के उपयोग के कारण ऐसे पुस्तकालयों में नहीं पहुंचते हों लेकिन, ये भी सच है कि इंटरनेट से ज्यादा विश्वसनीय जानकारी और सामग्री भी पुस्तकों में ही मिलती हैं।
मुझे लगता है बुक्स से बेहतर साथी कोई हो नहीं सकता । मुझे ऐसी किताबें पढऩा पसंद है जो प्रेरक हो और उसे पढऩे के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़े । मैं ज्यादा समय डिजिटल बुक्स पढऩा पसंद करती हूं क्योंकि जो किताबें पुस्तकालय और दुकानों पर उपलब्ध नहीं होती वो नेट पर मिल जाती हैं । मुझे सबसे ज्यादा संदीप माहेश्वरी की बुक्स पढऩा पसंद है उनकी किताबें आत्मविश्वास बढ़ाती है ।
मनाली दवे , स्टूडेंट
किताबें करती हैं मदद

किताबों के जरिये हमें सारा इतिहास जानने को मिलता है और किताबें ही इंसान की सबसे ज्यादा मदद करती हैं। अपने ज्ञान को बढ़ाने में मुझे सबसे ज्यादा वो किताबें पढऩा पसंद है जो इतिहास से जुड़ी हो और ऐसी बुक्स डिजिटली आसानी से मिलने लगी है ।
-विवेक , स्टूडेंट , एमएलएसयू

ऐतिहासिक पुस्तकों से प्रेम

मेरे लिए पुस्तक वह है जिसके खुलते ही में मेरे इर्द गिर्द चलती गतिविधियों को भूल कर उस किताब में खो जाऊं। मेरा ऐतिहासिक पुस्तकों से विशेष प्रेम रहा है क्योंकि यह हमारे ऐतिहासिक गौरव का चित्रण करती है और उसे पढ़ते हुए हम उस जीवन शैली से अत्यंत महत्वपूर्ण चीजें सीखते हैं।
हर्षिल, स्टूडेंट, कला महाविद्यालय
सेल्फ हैल्प बुक्स बनाती हैं बेहतर
मानव जीवन मे किताबों का होना सफलता की निशानी है। मुझे सेल्फ हैल्प की किताबें पढऩा पसंद है जो मुझे दूसरों से बेहतर बनाती है । डिजिटल बुक्स पढऩा प्रिफर करता हूं क्योंकि वो मुझे आसानी से उपलब्ध हो जाती है ।
जननजय, कवि

किताबों से मिली प्रेरणा

मैंने कई किताबें पढ़ी हैं, उनमें से कुछ ऐसी हैं जिनसे मुझे सबसे ज्यादा प्रेरणा मिली, 16 कहानियां थीं, अगर मेरा शरीर बोल सकता है, तो मैं उसकी जनजाति हूं और बहुत कुछ। तब मुझे प्रेरणा मिली और मैंने खुद एक किताब लिखने की सोची, फिर सब्र के साथ मैंने अपनी पहली किताब ‘अल्फाज’ लिखी। हैप्पी इंटरनेशनल बुक्स डे।
स्तुति बाफना, लेखक

ऑनलाइन पढ़ती हूं किताबें

आज का जो यूथ है वो समय को बहुत महत्व देता है। मुझे किताबें पढऩे का शौक है,पर मैं पुस्तकालय में समय ना दे कर ऑनलाइन ही बुक पढऩा पसंद करती हूं। इससे मैं अपने समय का सही उपयोग कर सकती हूं। मुझे ऑटोबायोग्राफी बुक पढऩा पसंद है। मेरी पसंदीदा बुक ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ है।
– पूजा दवे, छात्रा
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