जिले में 467 लोक शिक्षा केन्द्र हैं। प्रत्येक पर दो-दो प्रेरक व सह प्रेरक कार्यरत थे, जो कुल मिलाकर 934 थे। इन्हें दो-दो हजार रुपए मासिक मानदेय दिया जाता था। मार्च से इनका मानदेय बंद हो गया और केन्द्र के द्वार भी।
नाम लिख्ानेे काबिल ही हुए साक्षर साक्षरता एवं सतत् शिक्षा निदेशालय ने वर्ष 2011 में एक सर्वे करवाया था। उदयपुर जिले में 6 ला ा 19 हजार 762 निरक्षर सामने आए थे। ऐसी ही अन्य जिलों में थी। इस पर देश ार में वर्ष 2012 से 18 तक साक्षर ाारत अ िायान चलाकर करोड़ों रुपए फूंके गए। प्रतिवर्ष मार्च और अगस्त में निरक्षरों के लिए बुनियादी साक्षरता परीक्षा होती रही, जो गत 25 मार्च को अंतिम बार हुई थी। इन परीक्षाओं में कुल में से 602629 लोग इन परीक्षाओं में बैठे, जिनमें से 5 ला ा 25 हजार 540 उत्तीर्ण होना बताया गया। हालांकि ये साक्षर किसी नौकरी के लायक नहीं हुए। ये साक्षरता केवल हस्ताक्षर करने लायक या नाम लिखने लायक ही बन पाए। इसमें से ए और बी ग्रेड वालों को एनआईओएस नोएडा ने प्रमाण पत्र जारी किए, जबकि सी ग्रेड वालों को यह परीक्षा पुन: देने के लिए रोका गया।
READ MORE : World Literacy Day : लगन और प्रेरणा के दम से जागा पढ़ाई का जज्बा, सेंट्र्र्रल जेल में महिला बंदी किस तरह हुईं -इसी तरह समतुल्यता शिक्षा कार्यक्रम स्कूल को बीच में छोडऩे वाले विद्यार्थियों के लिए चलाया गया, जिनमें वर्ष 2017 में पांच ब्लॉक भींडर, सलू बर, मावली, खेरवाड़ा और गोगुन्दा को चयनित किया गया था। 53 ग्राम पंचायतों में 1764 लोगों को पंजीकृत किया गया था, इनमें ए लेवल यानी तीसरी पास, बी लेवल यानी पांचवीं और सी लेवल यानी आठवीं कक्षा उत्तीर्ण समकक्ष तैयार किए गए है। इसमें सी लेवल को छोडक़र अन्य किसी को नौकरी का कोई मौका नहीं मिल सकता।
—– मार्च के बाद लोक शिक्षा केन्द्र बंद पड़े हैंं। सभी प्रेरकों का काम बंद हैं। अभी तक कोई निर्देश नहीं होने से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा। जब तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय से नए आदेश नहीं आ जाते, तब तक इस पर ाी कुछ कहा नहीं जा सकता।
महेन्द्रकुमार जैन, जिला साक्षरता अधिकारी, उदयपुर