एक साथ लगे पलंग करीब दो वर्ष पहले सर्पदंश की घटना से पूर्व छात्रावास में पलंग और गद्दों के इंतजाम नहीं थे। बच्चे जमीन पर अपने साधन बिछाकर सोते थे। घटना के बाद प्रशासन द्वार पलंग के इंतजाम कर सिंहस्थ २०१६ में खरीदे गए गद्दे उपलब्ध कराए गए थे। तब से लेकर अब तक इन गद्दों का उपयोग की किया जा रहा हैं। गद्दों पर डालने के लिए चादर भी पर्याप्त संख्या में नहीं है। इसके अलावा जगह की कमी होने के कारण पलंगों को एक साथ सटाकर लगाया गया हैं। पलंग के बीच में अंतर नहीं है। इस स्थिति में संक्रमण तेजी से फैलने की शंका बनी रहती है। बच्चों में चर्म संक्रमण तेजी से फैलने का संभवत: यह सबसे बड़ा कारण हैं।
पानी का परीक्षण और पेस्टिसाइट नहीं हुआ छात्रावास में पीने और अन्य कार्य के लिए बोरिंग के पानी का उपयोग किया जाता हैं। बोरिंग का पानी उपयोग करने लायक है या नहीं इसका परीक्षण आज तक नहीं किया गया हैं। पीएचई लाइन से नल के कनेक्शन का आवेदन कर रखा है, लेकिन इसके लिए पहल/प्रयास नहीं किए गए हैं। कक्ष संक्रमण मुक्त रहे, इसके लिए आज तक पेस्टिसाइट कराना दूर इस संबंध में विचार तक नहीं किया गया। इस बात को मौके पर मौजूद वार्डन प्रवीण सिंह,सहायक वार्डन करण शर्मा ने स्वीकार किया।
पानी निकासी की समस्या बालक छात्रावास दशहरा मैदान के भवन निर्माण में पानी की निकासी पर ध्यान नहीं दिया गया हैं। भवन के प्रथम तल पर बने सुविधाघर में सीवरेज के पानी की निकासी ठीक से नहीं होने के कारण पानी छत पर जमा होता हैं। इसे कर्मचारी साफ करते हैं तो बच्चों को भी इसके लिए श्रमदान करना पड़ता हैं। पानी निकासी समस्या के संबंध में वार्डन प्रवीण सिंह का कहना था कि इसके लिए पीडब्ल्यूडी, पीआइयू को पत्र लिखा गया था। इंजीनियर आकर देख गए हैं, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हुआ हैं। पत्रिका टीम जब छात्रावास के कार्यालय में सहायक वार्डन से बात कर रहीं थी, तब बच्चे वायपर से पानी साफ कर रहे थे। यह दृश्य सीसीटीवी पर नजर आ रहा था। सहायक वार्डन का ध्यान इस पर आकर्षित कराया तो सहायक वार्डन इसे टालने लगे।
एक ही जगह सबकुछ
व्यवस्थापकों के अनुसार छात्रावास में स्वच्छता का अधिक ध्यान रखने दावा किया गया। उनके इस दावे की पोल छात्रावास के एक कोने में उजागर हो गई। इस स्थान पर वॉश बेसिन, पीने के पानी की पाद, सफाई का वायपर और सफाई करने के अन्य साधन, बाल्टी में गिलास एक साथ रखे हुए थे।
अधिकांश खिड़की में कांच नहीं छात्रावास अधिकांश खिड़की में कांच नहीं हैं। अभी तो मौसम सामान्य है। ठंड के बढऩे और शीतलहर चलने पर बच्चों को कितनी दिक्कत होगी, इसका अनुमान व्यवस्थापकों के साथ शिक्षा विभाग को नहीं है। एक बच्चे ने अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन इतना अवश्य कहा कि सर बरसात में पानी अंदर आता है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि खिड़कियों पर कांच काफी समय से नहीं हैं।
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सर सबसे अच्छा हैं छात्रावास, कलेक्टर प्रशंसा कर चुके हैं वार्डन प्रवीण सिंह, सहायक वार्डन करण शर्मा ने बातचीत में कहा कि सर शासकीय बालक आवासीय छात्रावास दशहरा मैदान जिले का सबसे अच्छा छात्रावास है। कलेक्टर साहब चार बाद देखकर जा चुके हैं। उन्होंने हर बार प्रशंसा की है। वार्डन, सहायक वार्डन से कहा कि टूटे कांच, पानी निकासी का समस्या, चादर की कमी, एक साथ पलंगों के लगने पर कलेक्टर साहब का ध्यान नहीं गया और इस संबंध में आपने लोगों ने उन्हें अवगत नहीं करया। इस पर दोनों ने चुप्पी साध ली।
इन बच्चों का कराया उपचार
शरीर पर फोड़े-फुंसी और खुजली की शिकायत पर शनिवार को छात्रावास के वीरेन्द्र पिता बद्रीलाल निवासी पंवासा, सचिन पिता विक्रम निवासी पिपल्या मुजाफ्ता, विशाल पिता जीवनलाल निवासी खेड़ा कुंडाल, आयुष पिता राजाराम निवासी उन्हेल इटावा, अजय पिता बालू निवासी परवाडा, राजपाल पिता अंतरसिंह निवासी बिसनखेड़ी, दीपक पिता महेश निवासी खिलचीपुर, रोशन पिता पूनमचंद निवासी फतेहाबाद, लक्की पिता नरसिंह निवासी सादलपुर को छात्रावास के चौकीदार ईश्वर सिंह के साथ उपचार के लिए माधव नगर अस्पताल लेकर पहुंचाया गया था।