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उज्जैन

विवि की गड़बड़ी पर उच्च शिक्षा की लगाम फेल

तीन साल में एक भी शिकायत व गड़बड़ी नहीं पहुंची अंजाम पर : लगातार प्रशासनिक अराजकता और भ्रष्टाचार की शिकायत

उज्जैनJan 10, 2018 / 07:03 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में पिछले तीन साल से प्रशासनिक अराजकता का माहौल है। लगातार सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आ रही है। विद्यार्थी परेशान है। हर दिन धरना, प्रदर्शन और विवाद हो रहे है।

खुद जनप्रतिनिधियों ने भी विवि के खिलाफ समय-समय पर मोर्चा खोलने में देरी नहीं की, लेकिन इस सब के बावजूद पिछले तीन साल में एक भी शिकायत अपने अंजाम पर नहीं पहुंची। भ्रष्टाचार के आरोप, अध्यादेश का उल्लघंन, प्रशासनिक अराजकता, विद्यार्थियों की सुनवाई नहीं होना और अन्य गंभीर आरोप की शिकायत और जांच के आदेश हुए, लेकिन निर्णय एक भी नहीं हुआ। हर बार विवि के अधिकारियों ने खुद को क्लीन चिट दे डाली। अब एेसी व्यवस्थाओं से स्पष्ट होने लगा है कि विवि की व्यवस्थाओं से उच्च शिक्षा विभाग की लगाम फेल होती जा रही है और एेसे दर्जनों मामले सामने आ रहे है। जिसमें विवि के अधिकारियों के सामने उच्च शिक्षा विभाग पूरी तरह से बौना साबित हो रहा है।

किताब खरीदी कांड

विवि प्रशासन ने बिना टेंडर के करोड़ों रूपए की किताब खरीदी। विवि ने तर्क दिया कि उन्होंने पूर्व अनुबंध की शर्त के अनुसार पुराने टेंडर को बढ़ाकर खरीदी की है। जबकि पूर्व अनुबंध की अवधि को जब बढ़ाया गया। तो वह खत्म हो चुका था। साथ ही नया अनुबंध सादे कागज पर कर लिया। इसी के साथ प्रक्रिया में जमककर अनियमिता हुई। दर्जनों शिकायत हुई। मामला विधानसभा तक गया, लेकिन जांच की फाइल देवास रोड (अतिरिक्त संचालक कार्यालय) से कोठी रोड (विवि प्रशासनिक भवन) तक नहीं पहुंच सकी। शिकायत एक साल से लंबित है।

बिना प्रक्रिया सीबीसी सिस्टम –

विश्वविद्यालय के अध्यादेश में संशोधन का काम समन्वय समिति के पास है। विक्रम विवि प्रशासन ने अध्ययनशाला में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया, लेकिन इसकी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अध्यादेश को अंगूठा दिखाकर लागू हुए नए सिस्टम के चलते एमबीए का रिजल्ट अटक गया था। हालांकि अन्य रिजल्ट को विवि के जिम्मेदारों से लागू कर दिया।

विवि से गुम हो रही कॉपी –

विश्वविद्यालय का काम कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की परीक्षा और मूल्यांकन करना है, लेकिन विवि के गोपनीय विभाग से लगातार कॉपी गुम हो रही है। विद्यार्थी अपनी कॉपी गुम होने की शिकायत करते है। उन्हें डरा-धमका कर भगा दिया जाता है। रतलाम की एक छात्रा ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की। उसके साथ हुए व्यवहार को शिकायत की स्थिति बता देती है। एल १, एल २, एल ३ और एल ४ सभी अधिकारियों ने छात्रा से एक ही प्रश्न पूछा कि शिकायत में विषय नहीं बताया है। जबकि शिकायत के साथ कॉपी दिखाने का आवेदन नंबद था। इसमें सभी जानकारी थी। यह शिकायत भी एेसे ही बंद हो गई। इस प्रकरण में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग ने भी जांच शुरू की। वह जांच भी हवा में चली गई।

धारा २८ कोड की प्रक्रिया

उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालय को धारा २८ कोड के सख्ती से पालन के निर्देश दिए। विक्रम विवि ने यह पूरी प्रक्रिया कागजों पर कर डाली। इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा कारनामा आरडीगार्डी में सामने आया। जब एक दिन में १२१ नियुक्ति हुई। इसी के साथ कमेटी का गठन भी नियमानुसार नहीं हुआ। मामले की शिकायत एक साल से लंबित है।

यह भी प्रकरण है –

गोपनीय विभाग में रहस्यम ढंग से आग लगी। जांच की कोई रिपोर्ट नहीं आई। विवि में फर्जी फीस चालान से ७७ हजार विद्यार्थियों की फीस जमा हुई। मामला पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। विवि में निजी कॉलेजों को सबंद्धता देने में जमकर धांधली हुई। जांच करते करते अधिकारी बीमार हुए। मामला खत्म। परीक्षा एक दिन पूर्व एक छात्रा के लिए एग्जाम लिंक ओपन कर ऑनलाइन फार्म जमा करवा दिया। कुलपति ने कहा कि कर्मचारी ने गड़बड़ी की। दो बार मामला विधानसभा में। जांच जारी है। विवि के जिम्मेदारों व उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कार्यपरिषद द्वारा मध्यप्रदेश कैबिनेट के फैसले को निरस्त कर दिया। प्रशासनिक गड़बड़ी के बाद भी कोई जिम्मेदार नहीं।

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