महाशिवरात्रि के दूसरे दिन मंदिर में उमड़े भक्त, साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती में छाया उल्लास, मंदिर में रही अव्यवस्था
उज्जैन•Feb 15, 2018 / 12:27 am•
Gopal Bajpai
उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल महाशिवरात्रि के दूसरे दिन बुधवार को सवा मन का पुष्प मुकुट (सेहरा) धारण कर दूल्हा बने। पुष्प मुकुट पहने बाबा के दिव्यरूप में दर्शन कर भक्त निहाल हो गए। इसके बाद दोपहर में भगवान महाकाल की भस्म आरती की गई।
महाशिवरात्रि पर्व पर भक्तों ने लगातार भगवान शिव के दर्शन किए। मंदिर के पट पूरी रात खुले रहे। भगवान भोलेनाथ का सवामन पुष्प मुकुट दर्शन बुधवार सुबह शुरू हुआ। इसके पहले प्रात: 04 बजे से भगवान को सप्तधान्य का मुघौटा धारण कराया गया। इसमें सप्तधान्य चावल, मूंग खड़ा, तिल, मसूर खडा, गेहूं, जो, साल चढाया। बाबा को सवा मन फूलों का पुष्प मुकुट बांधकर सोने के कुंडल, छत्र व मोरपंख, सोने के त्रिपुंड से सुसज्जित किया। प्रात: 06 बजे पुष्प मुकुट हुई। बाबा महाकाल पर चांदी के बिल्वपत्र व सिक्के न्योछावर किए। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने राजाधिराज के दर्शन किए। करीब १२ बजे मुकुट उतारा गया। प्रथम जल अर्पण, पंचामृत पूजन, द्वितीय जल अर्पण के बाद महानिर्णाणी अखाड़े के महंत प्रकाश पुरी ने बाबा को भस्म अर्पित कर भस्म रमाई। इसके बाद शृंगार हुआ और आशीष पुजारी ने भगवान महाकाल की वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती की। भक्तों ने भस्मारती एवं भगवान भोलेनाथ की भोग आरती का लाभ लिया।
नहीं करते बाबा विश्राम
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान महाकाल विश्राम नहीं करते हैं। मंदिर के पट सतत खुले रहने के कारण पूरी रात भगवान महाकाल के दर्शन का क्रम चलता रहा। महाकालेश्वर मन्दिर में पुष्प मुकुट दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। हजारों लोगों ने भगवान महाकाल का दर्शन कर पुण्यलाभ प्राप्त किया।
भोग आरती के बाद समापन
बुधवार दोपहर में भस्म आरती और इसके बाद भगवान महाकाल को भोग आरती के साथ ब्राह्मणों को पारणा कराया गया। इसके साथ ही महाशिवरात्रि पर्व का समापन हुआ।
दूसरे दिन भी दर्शनार्थियों का तांता लगा
देशभर में बुधवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया गया, परन्तु उज्जैन में यह पर्व मंगलवार को ही मनाया गया था। दो दिन महाशिवरात्रि पर्व होने के चलते बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने बुधवार को भी महाशिवरात्रि पर्व मनाते हुए महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन किए।
१७ को पंच मुखारविन्द के दर्शन
महाशिवरात्रि पर्व के दो दिन 17 फरवरी शनिवार को महाकाल मंदिर में एक बार फिर भगवान महाकाल पंच मुखारविन्द में दर्शन देंगे। महाशिवरात्रि के बाद की प्रथम दूज को महाकाल के दिव्य दर्शन होते हैं। महाशिवरात्रि पर्व के दो दिन बाद परंपरानुसार फाल्गुन शुक्ल द्वितीया को भगवान महाकालेश्वर के पांच शृंगारित मुखारविंद को एक साथ रखकर पूजन अर्चन किया जाता है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि यदि शिव नवरात्रि में बाबा के अलग-अलग रूप में दर्शन नहीं कर पाने वाले महाकाल बाबा के इन स्वरूप में दर्शन कर सके। महाशिवरात्रि के बाद दूज के अवसर पर महाकाल के पांच स्वरूप में दर्शन के लिए एक मान्यता यह भी है कि महाशिरावरात्रि पर शिव विवाह के बाद भगवान शिव कई दिनों तक देवताओं को दिखाई नहीं दिए। इस पर देवताओं ने शिव के दर्शन करने के लिए प्रार्थना और तप किया। इस पर भगवान शिव ने दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए। इस मान्यता के अनुसार बाबा महाकालेश्वर के पांच स्वरूपों में दर्शन करने का विशेष महत्व हैं।