लेतलाली ने डुबो दी सुविधा, बज गई बारह
सिटी बस के नए टेंडर में लेतलाली, बेहतर सुविधा से वंचित मुसाफिर, बंद बसों की भी सुध नहीं
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उज्जैन। सिटी बस का शहरी व उपनगरीय मार्ग पर संचालन करने के लिए होने वाले टेंडर में नगर निगम प्रशासन लेतलाली कर रहा है। कुछ माह पहले हुए टेंडर में दरों को लेकर उठी समस्या के चलते इन्हें निरस्त कर दिया गया। इसके बाद 5 माह से टेंडर को लेकर कागजी कवायद चल रही है। ना तो नए सिरे से टेंडर हुआ ना ही खराब पड़ी बसों को ठीक कराने में किसी ने रुचि ली। अब अधिकारी यूसीटीएसएल की बोर्ड बैठक व एमआइसी बैठक होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि टेंडर की शर्तों का अनुमोदन लिया जा सके। बस संचालन में बरती जा रही लापरवाही के चलते मुसाफिर बेहतर सुविधाओं से वंचित हैं। शहर में केवल 8 बस ही संचालित हो रही है।
सिटी बस प्रोजेक्ट को संकट से उबारने व पटरी पर लाने में नगर निगम के आला अधिकारियों से लेकर मैदानी अमले तक की रुचि नहीं रहती। यही वजह है कि दो साल से उपनगरीय सेवा व 5 माह शहरी रूट पर बसों का संचालन के लिए नया टेंडर नहीं हो पाया। अधिकारी केवल जहां जो स्थिति में है उसे आगे बढ़ा रहे हैं। इन्हें न नियमों की चिंता है ना ही यात्रियों को होने वाली परेशानियों की। जेएनएनयूआरएम अंतर्गत करोड़ों रुपए से खरीदी गई सीएनजी बस तो देखरेख के अभाव में भंगार हो गई। अब इन्हें संचालन योग्य नहीं मानते हुए भंगार में बेचने की तैयारी चल पड़ी है।
50 डीजल बस चलेगी, टेंडर शर्त तैयार
मौजूदा स्थिति में अब निगम ५० डीजल बस रूट पर चलवाएगा। इनमें से 19 उपनगरीय सेवा व 31 को शहरी रूटों पर चलाने की प्लानिंग है। नए प्रावधान अनुसार अब किसी एक कंपनी के जरिए ही इन दोनों रूट पर बस चलवाई जाएगी। इसके लिए टेंडर की शर्तें भी तैयार कर ली गई हैं। जबकि मौजूदा स्थिति में दोनों जगह संचालन के लिए पृथक कंपनी थी। अब ये प्रकरण एमआइसी में प्रस्तुत होगा, यहां से जो निर्णय होगा उस अनुसार निविदा प्रसारित की जाएगी।
4.50 करोड़ खर्च, कुछ माह में फिर खराब
– निगम ने करीब ढाई साल पहले4.50 करोड़ रुपए खर्च कर ३९ सीएनजी बस की मरम्मत टाटा कंपनी ने कराई थीं।
– कुछ समय बाद इनमें से 20बसें फिर खराब हो गई। बाद में इनके स्पेअर पाट्र्स ही नहीं मिल पाए।
– तब कारण बताया गया कि टाटा कपंनी ने ये विशेष किस्म की बसें बनाई थीं, इनके पॉर्ट्स कंपनी में ही नहीं।
– इसी फेर में बसें डिपो में रखे भंगार हो गई। कुछ के तो आगे व खिड़कियों के शीशे तक नहीं बचे।
– शुरुआत से ही जिनके पास बसों का संचालन रहा उन्होंने बसों का मनमाना दोहन किया।
इनका कहना –
टेंडर डाक्यूमेंट तैयार कर लिया है। यूसीटीएसएल बोर्ड बैठक में इसे रखेंगे, वहां से जैसी मंजूरी मिलेगी उस अनुसार निविदा प्रसारित करेंगे। कुछ ही दिनों में ये सब हो जाएगा।
योगेंद्र पटेल, सीइओ, यूसीटीएसएल