मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महाकाल मंदिर को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे
बता दें पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महाकाल मंदिर को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे। इस पर प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्री जिनमें लोक निर्माण एवं प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, मंत्री पीसी शर्मा एवं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धनसिंह शामिल हुए और उन्होंने शुक्रवार को महाकालेश्वर मंदिर के अंदर एवं बाहर किए जाने वाले कार्यों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा की। बैठक में लगभग 300 करोड़ के कार्यों को लेकर प्रारम्भिक सहमति व्यक्त की गई। अन्तिम रूप से प्रोजेक्ट स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर स्वीकृत किया जाएगा।
मुख्य सचिव मोहंती भी हुए शामिल
विशेष बैठक में मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव भी शामिल हुए। बैठक में प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि भगवान महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र का ऐसा विकास होना चाहिए जैसा कि काशी विश्वनाथ क्षेत्र का बनारस में हुआ है। बैठक में विधायक दिलीप गुर्जर, रामलाल मालवीय, महेश परमार, मुरली मोरवाल, संभागायुक्त अजीत कुमार, आईजी राकेश गुप्ता, डीआईजी अनिल शर्मा, कलेक्टर शशांक मिश्रा, पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर, मनोज राजानी सहित जनप्रतिनिधि एवं अधिकारीगण मौजूद थे।
कमलनाथ ने वचन दिया था
बैठक की शुरुआत में प्रभारी मंत्री वर्मा ने कहा प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वचन दिया था कि महाकालेश्वर क्षेत्र का समग्र विकास किया जाएगा, उसी के तहत आज उच्च स्तरीय समिति की बैठक उज्जैन में आयोजित की गई है। उन्होंने कहा मंदिर के आसपास एवं अंदर के कार्यों पर लगभग 300 करोड़ से अधिक की योजना बनाई गई है। प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इस पर है कि शहरों को किस तरह से आधुनिक किया जाए।
पौराणिक स्वरूप बरकरार रखा जाए
प्रभारी मंत्री ने कहा उज्जैन एवं महाकालेश्वर मंदिर का पौराणिक स्वरूप बनाए रखा जाएगा। पुराणों में जिस तरह से चर्चा की जाती है उन सभी बातों को समाहित कर मंदिर का विकास किया जाएगा। सबसे पहले उनके द्वारा वीआईपी कल्चर समाप्त करने की घोषणा की गई थी और वे इसका पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का कोई पूर्वाग्रह नहीं है ईमानदारी से महाकालेश्वर मंदिर का विकास किया जाना है।
मंदिर में नया एक्ट तैयार हो रहा
जनसम्पर्क एवं विधि मंत्री शर्मा ने कहा महाकाल मंदिर का नया एक्ट तैयार हो रहा है, जिसमें कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं। इसमें नियम बनाने के अधिकार सरकार के पास होंगे। साथ ही मंदिर के प्रबंधन की व्यवस्था को भी ठीक किया जाएगा। शहर का पौराणिक इतिहास यहां की समृद्ध संस्कृति है। इन बातों को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री उज्जैन का विकास करना चाहते हैं।
शिखर दर्शन में किसी तरह की बाधा न हो
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा महाकालेश्वर के शिखर दर्शन में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आसपास के भवनों की ऊंचाई शिखर से कम हो। अतिशीघ्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जाएंगे। आगामी सितम्बर-अक्टूबर में कुछ जनप्रतिनिधियों को काशी विश्वनाथ मन्दिर, तिरूपति मन्दिर एवं सोमनाथ मन्दिर की व्यवस्थाओं का अवलोकन करने के लिए भेजा जाएगा।
मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहन्ती ने कहा
उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं का विभाजन दो-तीन कैटेगरी में किया जा सकता है। इसमें कुछ लोग केवल एक दिन के लिए आते हैं एवं बाकी लोग एक-दो दिन रुकने के विचार से यहां आते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा मिले एवं जो यहां केवल एक दिन के लिए आते हैं वे उज्जैन में रुकें इस हेतु मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्य योजना तैयार की जा रही है।
इन बिंदुओं पर भी हुआ मंथन
– सोमनाथ – अमृतसर में जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स उपलब्ध कराए जाते हैं, वैसे यहां भी किया जाना चाहिये।
– रुद्र सागर से गन्दगी हटाई जाएगी एवं भोपाल की तर्ज पर इसको स्वच्छ किया जाएगा।
– धार्मिक स्थलों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। रुद्र सागर एवं महाकाल मन्दिर के मूल स्वरूप से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाना चाहिए।
– भस्म आरती करके जाने वालों के लिए केवल एक ही निर्गम गेट है, यहां दूसरा गेट भी बनाया जाना चाहिए।
– मन्दिर के आसपास के क्षेत्र में शिखर से ऊंचे मकान व मन्दिर नहीं होना चाहिए।
– सवारी मार्ग पर बनने वाले नए मकानों का पौराणिक महत्व के आधार पर स्थापत्य स्वीकृत करने की बात कही।
– ८४ महादेव, पंचक्रोशी मार्ग का विकास, गर्भगृह में दर्शन स्थायी रूप से बन्द करने, मन्दिर समिति में अशासकीय सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा रुद्र सागर में गन्दे नाले का पानी मिलने से रोके जाएं।
– स्थायी प्रशासक की नियुक्ति की जाए, भारत माता मन्दिर की ओर 30 फीट चौड़ाई का रोड व अतिक्रमण हटाया जाए।
– भस्म आरती के प्रवेश के लिए जारी किए जाने वाले पास में बायोमैट्रिक का उपयोग करते हुए उन्हीं व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाना चाहिए, जिनके लिए पास बनाए गए हैं।
– सप्तपुरी, सप्त सागर का महत्व बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को ज्ञात हो, इसका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। शहर में योग साधना केन्द्र की स्थापना की जाए। नीलगंगा तालाब का भी विकास हो।