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पक्षी प्रेमियों को जल्द उज्जैन में मिलेगी यह सौगात

पक्षी प्रेमी निहार सकेंगे उनकी सुंदरता, दुनियाभर के प्रवासी पक्षी आएंगे

उज्जैनJun 04, 2018 / 12:28 am

Lalit Saxena

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पक्षी प्रेमी निहार सकेंगे उनकी सुंदरता, दुनियाभर के प्रवासी पक्षी आएंगे

उज्जैन. नौलखी इको टूरिज्म पार्क में बर्ड वॉचिंग स्टूडियो विकसित किया जाएगा। कर्नाटक के गणेश गुणी हिल स्टेशन की तर्ज पर इसका विकास होगा। यहां दुनियाभर के प्रवासी पक्षी शीत ऋतु के दौरान आते हैं, जिन्हें देखने और फोटो लेने के लिए देशभर के पर्यटक पहुंचते हैं। इस स्टूडियो से पक्षी प्रेमी उनकी प्राकृतिक सुंदरता को निहार सकते हैं और उनके फोटो ले सकते हैं।
नौलखी बीड में वन विभाग ने इको टूरिज्म पार्क विकसित किया है। इसका ८० प्रतिशत काम हो चुका है। शेष बारिश के बाद पूर्ण किया जाएगा। इस पार्क में पीछे की तरफ तालाब विकसित किया गया है।
नौलखी बीड में बर्ड वॉचिंग स्टूडियो को विकसित करने की योजना है। इस प्रकार का स्टूडियो का फिलहाल कर्नाटक के गणेश गुणी हिल स्टेशन पर कर्नाटक टूरिज्म ने विकसित किया है, जिसे ओल्ड मैग्जीन हाउस नाम दिया गया है। यहां हर साल अक्टूबर से मार्च के दौरान दुनियाभर के प्रवासी-अप्रवासी पक्षी आते हैं,जिन्हें निहारने और फोटोसेशन के लिए देशभर के पर्यटक पहुंचते हैं।
नवंबर तक विकसित करने की योजना- डीएफओ पीएन मिश्रा ने बताया इको टूरिज्म पार्क का काम अधूरा है। यहां बिजली के लिए सोलर प्लांट, बोरिंग और इंटरप्रिटिशन सेंटर बनाना शेष है। नवंबर तक बर्ड वॉचिंग स्टूडियो को विकसित किया जाएगा। यहां प्रवासी और प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ाने के लिए साइलेंट जोन विकसित करेंगे ताकि पक्षी प्राकृतिक माहौल में विचरण करें।
एेसा होता है बर्ड वॉचिंग स्टूडियो
पक्षी विशेषज्ञ अनुराग छजलानी ने बताया कि बर्ड वॉचिंग स्टूडियो के लिए तालाब के चारों तरफ हरी नेट की दो पट्टियां लगाई जाएंगी, जिनके बीच में बनी खिड़कीनुमा जगह पर लगे बायनोक्यूलर की मदद से पक्षी प्रेमी उन्हें निहार सकते हैं। ये साइलेंट जोन होता है। जहां तेज आवाज में बातचीत और शोर करना मना होता है। बातचीत और इंसानों की चहल कदमी से ये पक्षी उड़ कर चले जाते हैं, जिस वजह से हरी नेट का उपयोग किया जाता है। ताकि पक्षियों आराम से विचरण कर सके और उन्हें बिना दिखे पक्षी प्रेमी उनका फोटोसेशन कर सकें।
पहली बार दिखा अमूर फाल्कन
शहर में हाल ही में उत्तरी चाइना में पाया जाने वाला पक्षी अमूर फाल्कन देखा गया है। बर्ड वॉचिंग क्लब के सिद्धार्थ द्विवेदी ने बताया कि यह पक्षी अगस्त से अक्टूबर के दौरान उत्तरी चाइना से करीब ५००० किमी की दूरी तय कर ब्रिडिंग के लिए साउथ अफ्रीका पहुंचता है। वहां से नवंबर मेंं पुन: उत्तरी चाइना के लिए निकलता है। भारत और अरब सागर को पार कर ये सफर पूरा करता है। पहली बार विक्रम तीर्थ सरोवर पर यह समूह के साथ देखा गया। इसकी मोबाइल से फोटो ली। इसके बाद पुष्टि के लिए पक्षी विशेषज्ञ छजलानी को यह फोटो दिखाया।
२०० से अधिक पक्षी आते हैं प्रवास पर
शहर और इसके आसपास निर्मित उंडासा, साहिबखेड़ी, गंभीर डैम आदि क्षेत्रों में २०० से अधिक प्रवासी-अप्रवासी पक्षी अक्टूबर से मार्च के दौरान आते हैं। मालवा क्षेत्र के करीब १२० क्षेत्रीय प्रजातियों के पक्षी और साइबेरिया, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका के ५० से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों को डेरा इन तालाबों में रहता है, लेकिन ये तालाब बड़े होने की वजह से बगैर बायनोक्यूलर की मदद से इन्हें निहारा नहीं जा सकता है। इको टूरिज्म पार्क में यदि इस प्रकार स्टूडियो विकसित होता है तो पक्षी प्रेमियों सहित आमजन के लिए भी यह स्थान बेहद रोमाचंक साबित होगा।
ये पक्षी आते हैं प्रवास पर : सारस क्रेन, पिन टेल डक, साइबेरियन सारस, ब्लू थ्रोट, रेड अडावेट, पोंड हेरॉन, लिटिल इग्रेट,, हाउस स्पैरो, रेड बेटल लटिपंग, एेशी लार्ड, एशियाई पैराडाइस, फ्लाई कैचर, ब्लैक विंगि स्टिल्ट, यूरेशियन कर्लेन, पेंटेड सोर्क, ओपन बिल, वूली नैक स्टोर्क, बार हेडेड ग्रीस
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