scriptelection 2018 : चुनाव जीतने के बाद कभी पलटकर नहीं आए सरकार, समस्याएं अब भी बरकरार… | BJP-Congress got maximum votes, still there are problems | Patrika News
उज्जैन

election 2018 : चुनाव जीतने के बाद कभी पलटकर नहीं आए सरकार, समस्याएं अब भी बरकरार…

पिछले विधानसभा चुनाव में जिन पोलिंग बूथों पर भाजपा-कांग्रेस को सर्वाधिक वोट मिले थे वहां अब भी समस्याएं बरकरार

उज्जैनSep 11, 2018 / 10:14 pm

Lalit Saxena

congress bjp

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उज्जैन/शाजापुर/आगर. ये राजनीति है साहब…नेता एक बार वोट लेने आते हैं फिर पलटकर नहीं देखते हैं। अक्सर ऐसे जुमले हम सुनते आए लेकिन जमीनी हकीकत भी कुछ ऐसी ही है।विधानसभा 2013 में मैदान में उतरे प्रत्याशियों ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे और जितने पर पूर्ण करने का आश्वासन दिया था। पांच साल होने को आए लेकिन अब भी यह वादे अधूरे ही है। पत्रिका ने उज्जैन की दक्षिण विधानसभा, शाजापुर व आगर जिले के उन पोलिंगबूथों की वास्तविकता जानी जहां भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को सर्वाधिक वोट मिले थे तो वहां मतदाता खुद को ठगा महसूस करते मिले। इन पोलिंग बूथों के क्षेत्र में “माननीय” दोबारा गए ही नहीं जो चुनाव हारे उन्होंने पलटकर नहीं देखा।

आगर-मालवा : जहां जीते न तो वहां पहुंचे और जहां हारे वहां गए

आगर शहर का वार्ड क्रमांक 15 छोटा बाजार रोड, छोटा जीन रोड, गांधी गली, घांटी निचे, भोईपुरा, ईमली गली, कुम्हार मोहल्ला, सुतार गली, कृष्णा जीन रोड पर जो समस्याएं उपचुनाव के दौरान थी वह आज भी हैं। मतदाताओं का कहना है कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन फिर पलटकर देखते नहीं है। 2014 में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान वार्ड 15 में भाजपा को सर्वाधिक मत मिले थे लेकिन चुनाव के दौरान सामने आईं समस्याएं आज भी बरकरार है। इस वार्ड में स्थित शराब दुकान से महिलाएं खासी परेशानी हो चुकी हैं वहीं गुप्तेश्वर महादेव की अतिप्राचीन बावड़ी अपने हालातों पर आंसू बहा रही है। हालांकि इस वार्ड से हमेशा ही भाजपा को बढ़त मिली है फिर भी यहां विकास की दरकार है। वार्ड पार्षद मनीष सोलंकी का कहना है कि हमारे द्वारा निरंतर मतदाताओं से संपर्ककर उन्हें शासन की योजनाओं की जानकारी दी जाती है। मतदान केंद्र क्रमांक 134 (स्थान-सहकारी विपणन एवं प्रक्रिया संस्था समिति घाटी नीचे आगर) में 1191 कुल मतदाताओं में से 743 मत भाजपा को मिले थे और महज 107 मत कांग्रेस को हासिल हो पाए थे।

यहां लगे पक्षपात के आरोप
काशीबाई स्मारक, लक्ष्मणपुरा, केवड़ा स्वामी रोड, कानड़ दरवाजा, हरिजनपुरा, काशीबाई स्मारक कालोनी, वार्ड 12 एवं 14 के मतदान केंद्र क्रमांक 133 के दोनों केंद्र से कांग्रेस को खासी बढ़त मिलती है। 1554 मतदाताओं वाले इस मतदान केंद्र पर 768 वोट कांग्रेस को मिले थे वहीं भाजपा को महज 297 वोट ही मिल पाए थे। हरिजनपुरा में रहने वाली 68 वर्षीय सोनाबाई का कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो नेता पैरो में गिरकर वोट मांगते हैं और चुनाव होने के बाद भूल जाते हैं। हमारे वार्ड में पक्षपात किया जाता है। आज भी मांगलिक भवन नहीं बना है। सांसद निधि से मांगलिक भवन स्वीकृत है। कांग्रेस पार्षद सीमा कमल जाटव तथा सिरोज मेव ने बताया कि दोनो वार्डों में कांग्रेस को बढ़त मिलती है इस कारण हमारे वार्ड में पक्षपात किया जाता है।

शाजापुर : जहां मिले थे सबसे ज्यादा वोट वहां की नहीं ली सुध
शाजापुर विधानसभा के किशोर भाई त्रिवेदी वार्ड का पोलिंग बूथ क्रमांक 156। इस बूथ में खत्रीपुरा, सोमेश्वर मार्ग, एमजी रोड, चित्रगुप्त मार्ग और भावसार सेरी तक का क्षेत्र है। जब बूथ की जमीनी हकीकत देखी तो पता लगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां जो मुद्दे और मांग थी वो ही इस बार भी है। इस बूथ पर मौजूदा भाजपा विधायक अरुण भीमावद को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। यहां के 1161 मतदाता थे इसमें से 883 ने वोट डाले थे। भाजपा विधायक को 700 वोट मिले थे। इतने वोट मिलने के बाद इस क्षेत्र कार्य न के बराबर हैं। पूजन सामग्री के थोक एवं खेरची विक्रेता गजेंद्र पाठक से ने बताया कि साफ पेयजल का वादा पिछले विधानसभा चुनाव के समय हुआ था जो आज तक पूरा नहीं हुआ। न तो भाजपा ने जीतने के बाद यहां पर ध्यान दिया और न ही कांग्रेस ने यहां के मुद्दों को ठीक से उठाया। भावसार सेरी के फोटोग्राफर कपिल भावसार से जब पूछा कि 2013 विधानसभा चुनाव के बाद क्या विकास हुए तो उन्होंने भी बेबाकी से कहा कि भाजपा का गढ़ है पर विकास कार्य नहीं हुए। पांच साल पहले जो समस्याएं थी वो आज भी बनी हुई हैं।

कांग्रेस के गढ़ में तो हालत और ज्यादा खराब

शाजापुर विधानसभा क्षेत्र का बूथ क्रमांक-135। नगर पालिका के कम्यूनिटी हॉल महूपुरा के इस पोलिंग बूथ में अब्दुल कलाम आजाद वार्ड 5, लोहिया मार्ग वार्ड 1-वार्ड 5, डांसी मार्ग, पटेलवाड़ी महूपुरा, लोहिया मार्ग आदि शामिल हैं। इस क्षेत्र में मजदूर वर्ग की संख्या ज्यादा है। यहां पर विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने कई वादे किए थे, लेकिन जीत के बाद ये दावे हवा हो गए। कांग्रेस के इस गढ़ में वैसे तो भाजपा प्रत्याशी को कम वोट मिले, लेकिन यहां के मतदाताओं की समस्या हल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने प्रयास नहीं किए। इस बूथ पर कुल 1461 मतदाता में से 1073 ने वोट डाले गए थे। इसमें कांग्रेस को 696 और भाजपा को 242 वोट मिले थे। इस बूथ के लोहिया मार्ग महूपुरा निवासी मो. आसिफ खां ने बताया कि विधानसभा चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने कई वादे किए थे, लेकिन चुनाव के बाद न तो भाजपा ने हमारी सुनी और न कांग्रेस ने हमारी मांग को लेकर प्रदर्शन किया। सड़क, बिजली, पानी और गंदगी की समस्या आज भी जस की तस है। महूपुरा पटेलवाड़ी में रहने वाले वसीम खान ने कहा कि कांग्रेस का गढ़ होने के बाद भी यहां कांग्रेस ने ध्यान नहीं दिया। भाजपा सरकार ने तो लावारिस छोड़ दिया है।


उज्जैन : दक्षिण विधानसभा

जिस समस्या से छुटकारे की थी उम्मीद, वह अब भी बरकरार
वार्ड क्रमांक 43, लक्षमीनगर वार्ड, मुख्य बाजार फ्रीगंज सहित शहर की पॉश कॉलोनियों के बिच घिरा यह वार्ड जीवन स्तर के मामले में मिला जुला है। इसे विकासशील वार्ड भी कह सकते हैं। यहां पेशे से छोटे दुकानदार, श्रमिक आदि की संख्या है तो मध्यमवर्गीय निजी व शासकीय सेवकों के साथ कुछ बड़े व्यापारी भी निवास करते हैं। जातिगत समिकरणों के मान से देखा जाए तो अनुसूचित वर्ग के मतदाओं की संख्या यहां परिणामों को प्रभावित करने वाली है।

ये वही वार्ड हैं जिसके बूथ क्रमांक 114 पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी को अन्य बुथों की तुलना में सर्वाधिक 655 वोट मिले थे। जब पत्रिका टीम इस बूथ के क्षेत्र में पहुंची तो यहां कि हालत देखकर आभास हो गया कि क्षेत्रवासियों के लिए बड़ी समस्या सफाई होगी, हुआ भी कुछ एेसा ही। रहवासियों ने इस बूथ के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या गंदगी को ही बताया। करीब ढाई बीघा जमीन में बने शासकीय बीमा अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और आसपास की खाली जगह किसी दलदल के समान है। न खस्ता बिल्डिंग हटाई जा रही है और नहीं खाली जमीन पर कोई विकास हो रहा है। पिछले चुनाव में मतदाताओं ने इस उम्मीद से मतदान किया था कि इस बार उन्हें इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन पांच साल बाद भी उम्मीद, पूरी नहीं हुई। देसाईनगर निवासी विरेंद्र पाल कहते हैं 15-20 साल से यहां की गंदगी चुनावी मुद्दा बनी हुई है जो इस बार के चुनाव में भी मुद्दा बनेगी। जनप्रतिनिधि-अधिकारी केंद्र सरकार का भवन होने का हवाला देकर असमर्थता जता देते हैं और हमें साल दर साल बढ़ती गंदगी झेलना पड़ती है। हालांकि पाल सड़क या अन्य आधारभूत सुविधा को लेकर संतुष्ट हैं। क्षेत्र के ही वृद्ध अभिनंदन जैन तो अपने घर के पते में ही ‘खंडहर बीमा अस्पतालÓ का उल्लेख करते हैं। अव्यवस्था से नाराज जैन का कहना है, यहां असामाजिक तत्वों का जमवाड़ा रहता है। शाम होते ही खंडरनुमा बिल्डिंग गैरकानूनी काय्र शुरू हो जाते हैं।

दोनों दलों ने नहीं कराएं विकास कार्य

वार्ड क्रमांक 45 संत विद्यानारायण, यहां मध्यम व पीछड़ी कॉलोनियों की बसाहट है। चुनावी दृष्टिकोण से अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक की भूमिका में रहते हैं। इस क्षेत्र के कुछ पोलिंग बूथ कांग्रेस का गढ़ माने जाते हैं। इन्हीं में से एक बूथ क्रमांक 126 है। यह वही बूथ है जहां पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को अन्य बूथों की तुलना में सर्वाधिक वोट मिले थे। इस बूथ के क्षेत्र में शाम करीब 4.30 बजे पत्रिका टीम पहुंची तो गलियों में खासी चहल-पहल थी, हर कोई अपने-अपने काम में लगा था। क्षेत्र में एेसा कुछ नया देखने को नहीं मिला जो इसे अन्य से अलग या बेहतर बनाता हो। गलियों में गंदगी है, सड़क के आसपास अतिक्रमण पसरा है और शासकीय स्कूल, व्यवस्थित धर्मशाला जैसी विशेष सुविधाओं का अभाव है। नारायणपुरा निवासी जगदीश मेहर कहते हैं, सबसे बड़ी समस्या सफाई व्यवस्था को लेकर है। गंदगी के कारण बीमारियां बढ़ रही हैं। क्षेत्र का समूचित विकास भी नहीं हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में इसी उम्मीद से मतदान किया था कि क्षेत्र में नए विकास कार्य देखने को मिलेंगे लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ। बुजुर्ग किशोर मरमट बताते हैं, क्षेंत्र में सरकारी स्कूल नहीं हैं। यहां तक कि एक भी व्यवस्थित या सुविधायुक्त धर्मशाला भी नहीं है यहां मांगलिक कार्यक्रम हो सके। पूर्व चुनाव में सर्वाधिक वोट मिलने के चलते इस बार भी यहां कांग्रेस अपनी पकड़ बरकरार रखने का प्रयास कर रही है तो भाजपा पिछले गड्ढे से सबक लेकर स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही। हालांकि दोनो ही दलों के लिए स्थिति असमंजस वाली है। विधानसभा में जिस उम्मीद से वोट डाले गए थे, वह अधुरी हैं जिसका नाराजगी भाजपा को झेलना है वहीं क्षेत्र में कांग्रेस पार्षद होने के बावजूद नगर निगम से जुड़ी समस्या अधिक होने के कारण कांग्रेस के प्रति भी पहले जैसा भरोसा हो, कहना मुश्किल है।

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