उज्जैन दक्षिण विस क्षेत्र का बड़ा भाग ग्रामीण क्षेत्रों में आता है। अगले चुनाव को लेकर गांवों में शहरी इलाकों से हटकर अपनी समस्या व मांगें हैं, जिसमें बुनियादी विकास से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, खेती को लाभ का धंधा बनाने व रोजगार जैसे मुद्दे अहम हैं। गांवों में रोजगार के अवसर नहीं होने से लोग पलायन कर कस्बों व शहरों में आकर गुजर-बसर चलाते हैं। खेतों में मशीन व आधुनिक संसाधनों के चलते मजदूर वर्ग के लोग खासे परेशानी में आ गए हैं। चेंजमेकर रूपावत के अनुसार हमने जनता से खुद उनके मुद्दे जाने ओर क्षेत्रीय एजेंडा तैयार करने की कोशिश की। चुनाव के समय हम जनता के जरूरी मुद्दों को ही जनता के बीच रखकर राजनीति को स्वच्छ दिशा में ले जाने जुटेंगे।
शराबबंदी पर घोषणाएं लेकिन अमल नहीं
प्रदेश में शराबबंदी को लेकर सत्ताधारी भाजपा के नेता व्यक्तिगत तौर पर इसका समर्थन कर चुके हैं, जिसमें मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष राकेशसिंह भी शामिल हंै, लेकिन शराबबंदी को लेकर सरकार कोई स्पष्ट रूख नहीं ले पाई। बल्कि इसके नकारात्मक पहलुओं पर अधिक बात की जा रही है कि जिन प्रदेशों में एेसा हुआ वहां शराब की अवैध बिक्री बहुत अधिक बढ़ गई, जो समाज के लिए और घातक है। राजस्व प्राप्ति व सरकारी खजाना भरने वाली नीति को लेकर सरकार कोई कदम नहीं उठा पाई। जन एजेंडे में इस तरह तरह की बातों पर भी चर्चा चली।