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उज्जैन

जान हथेली पर लेकर ऐसे पहुंचते हैं बच्चे स्कूल, घर लौटने पर परिवार की लौटती है जान में जान

अफसरों की हट के आगे ग्रामीणों की शिकायत बेअसर

उज्जैनJul 11, 2018 / 06:03 pm

Lalit Saxena

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कमलेश वर्मा@नागदा. नपा की सीमा में आने वाला वार्ड 15 का पुवाडिल्या गांव इन दिनों बेबसी का शिकार हो रहा है। बेबसी भी ऐसी की स्कूली बच्चे नाला बन चुकी सड़कों पार कर स्कूल पहुंच रही, तो स्कूली बालिकाएं रेलवे पटरियों को पार कर जान जोखिम में डाल रही है। दरअसल ग्राम पुवाडिल्या में बीते वर्ष सड़क निर्माण शुरू किया गया। लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते निर्माण पूरा नहीं हो सका। विडंबना यह है कि कार्य पूरा नहीं होने के कारण डेढ़ किलोमीटर लंबा पुवाडिल्या पहुंच मार्ग नदी में तब्दील हो गया है। मार्ग से गुजरने वाले ग्रामीण नदी बन चुके मार्ग से बचने के लिए रेलवे पटरियों व अन्य मार्गों का प्रयोग कर गांव पहुंच रहे है। ग्रामीणों का तर्क है, कि बीते आवास योजना के मकानों का निरीक्षण करने पहुंचे नपाध्यक्ष अशोक मालवीय ने मार्ग पर डस्ट डलवाने का आश्वासन दिया था लेकिन परिणाम सिफर रहा।

नदी नुमा पानी से होकर गुजरते बच्चे
पानी से होकर गुजर रहे शक्तिसिंह व सुमितसिंह शहर के एक निजी स्कूल में पढ़ाई करते है। उक्त दोनों बच्चों की तरह ही गांव के सैकड़ों बच्चे शहर के निजी स्कूल में अध्यनरत है। बच्चों को मार्ग पुवाडिल्या पहुंच मार्ग पर जमा पानी से होकर गुजरना पड़ता है। पानी से गुजरने के दौरान बच्चों को जूते मोजे खोलकर हाथों में लेकर सड़क तक पहुंचना पड़ता है। परेशानी यह है कि मार्ग निर्माण नहीं होने से बारिश का पानी दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। बीती रात ही दो बाइक सवार मार्गपर जमा पानी में गिरकर चोटिल हो गए थे।

रेलवे पटरी बन जाती है घर पहुंचने का रास्ता
पुवाडिल्या गांव के समीप से कोटा रेल मार्ग की पटरिया होकर गुजरती है। बारिश के दिनों में उक्त पटरियां ग्रामीणों के लिए घर पहुंचने का सुगम व सरल माध्यम होता है। इसे ग्रामीणों की बेबसी ही कहा जाएगा क्योंकि नगर पालिका के क्षेत्राधिकार में आने वाले वार्ड में सड़क निर्माण रुका हुआ है। चित्र को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पटरी पार करने के दौरान यदि कोई ट्रेन आए तो दोनों बालिकाओं को क्या होगा। गलती बालिकाओं की भी नहीं है, उन्हें घर पहुंचने के लिए जो सुगम मार्ग लगा उस पर वह चल रही है।

हल्की सी बारिश लेकर आती है मुसीबत
यह तस्वीर इंगोरिया स्थित रहवासी क्षेत्र की है। बारिश क्षेत्र के रहवासियों के लिए मुसीबत बनकर आती है। बारिश से सड़कों पर कीचड़ इस कदर पसर जाता है, कि रहवासी ना तो घरों से बाहर निकल पाते है। ना ही कोई बाइक सवार मार्ग से होकर गुजरता है। रहवासियों का तर्क है कि नगर पालिका में शिकायत किए जाने पर जवाब मिलता है, कि क्षेत्र में चूरी में डालवा दी गई है। लेकिन क्षेत्र के लोगों के यह समझ से परे है, कि चूरी किस स्थान पर डलवाई जाती है। लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि चुरी भाजपा पार्षद के घर के बाहर डलवाई जाती है। रहवासियों ने उक्त बात के प्रमाण भी प्रस्तुत किए है।

भेदभाव के चलते नहीं हो रहा निर्माण कार्य
मार्ग का निर्माण भेदभाव के चलते नहीं किया जा रहा है। मार्ग का वर्क आर्डर वर्ष 2016 में डामरीकरण स्वीकृत हो चुका है लेकिन अनदेखी के चलते निर्माण नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा निर्माण के लिए कई बार शिकायत की गई। नपा में संबंधित अफसरों को भी बताया जा चुका है।
– योगेश मीणा, पार्षद, वार्ड 15

सबसे ज्यादा परेशानी होती है स्कूली बच्चों को
निर्माण भाजपा व कांग्रेस की नीति के चलते नहीं हो पा रहा। पार्टीवाद को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्राम की परेशानी की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दोपहर का समय तो ठीक है लेकिन रात्रि के दौरान आए दिन वाहन चालक बारिश के पानी में गिरकर चोटिल हो रहे है। इतना ही नहीं सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को आ रही है।

– प्रकाश अग्रवाल, रहवासी

नदी में तब्दील हो गया मार्ग
अफसरों की लापरवाही के चलते निर्माण पूरा नहीं हो सका। कार्य पूरा नहीं होने के कारण डेढ़ किलो मीटर लंबा पुवाडिल्या पहुंच मार्ग नदी में तब्दील हो गया है। मार्ग से गुजरने वाले ग्रामीण नदी बन चुके मार्ग से बचने के लिए रेलवे पटरियों व अन्य मार्गों का प्रयोग कर गांव पहुंच रहे है। निर्माण नहीं हो रहा तो बच्चे रेल पटरियों को पार ही करेंगे। – जितेंद्र अग्रवाल, रहवासी

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