उद्यन मार्ग स्थित खनिज विभाग के कार्यालय में कांग्रेसी कार्यकर्ता शनिवार दोपहर को पहुंचे। कांग्रेसी जब कार्यालय परिसर मे प्रवेश करने लगे तो पुलिस बल ने प्रशासनिक अधिकारी के आने का हवाला देकर रोक दिया। बाद में कांग्रेसियों ने शांति पूर्ण प्रदर्शन की बात कहकर परिसर में घुसे और जमीन पर बैठ धरना शुरू कर दिया। चर्चा के लिए नायब तहसीलदार आदर्श शर्मा पहुंचे तो कांग्रेसियों के कहने पर उन्हें भी नीचे ही बैठना पड़ा। जिला कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष्ज्ञ हेमंतसिंह चौहान ने आरोप लगाया कि जिले में 212 खदानों में से अधिकांश में अवैध उत्खनन हो रहा है, लेकिन रुपए बंटने के कारण विभाग जांच नहीं करता।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई को लेकर नायब तहसीलदार के जवाब नहीं देने पर चौहान ने ज्ञापन फाड़ दिया। नायब तहसीलदार उठकर चले गए और कांग्रेसियों ने धरना जारी रखा। यहां पहुंचे एसडीएम अनिल बनवारिया से कांग्रेसियों ने चर्चा की। एसडीएम ने पूर्व में बताई गई नागदा तहसील की खदान की जांच १५ अक्टूबर तक करने का आश्वासन दिया। इसके बाद कांग्रेसियों ने धरना समाप्त किया।
रूमाल बिछाकर बैठे खनिज अधिकारी पटेल
नायब तहसीलदार के जाने के बाद भी धरना जारी रहा तो खनिज अधिकारी महेंद्र पटेल कक्ष से बाहर आए। कांग्रेसियों ने उनसे कहा, जमीन का कार्य करते हैं तो फिर जमीन पर बैठकर ही बात करने में क्या परेशानी है। कांग्रेसियों के कहने पर पटेल रूमाल बिछाकर नीचे बैठ गए। चौहान ने फिर पटेल के सामने विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया।
दम है तो विधायक के भाई खदान जांचें
चर्चा के दौरान खनिज अधिकारी ने कांग्रेस नेता चौहान से पूछा कि आप बताएं किस खदान की जांच करना है। इस पर चौहान ने कहा जिले की किसी भी खदान को देख सकते हैं। चौहान ने यहां तक कहा कि यदि दम है तो लालपुर में विधायक के भाई की खदान की जांच कर लें।
सात महीने में भी नहीं हुई एक खदान की जांच
चौहान ने पटेल को बताया, पूर्व में भी अवैध उत्खनन की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे, बावजूद सात महीने से उक्त खदान की जांच नहीं की गई। जांच नहीं होने व भ्रष्टाचार के आरोपों पर पटेल, सीमांकन, मशीन उपलब्ध नहीं होने, बारिश, फसल, स्टाफ की कमी जैसे अलग-अलग तर्क दिए लेकिन कांग्रेसी संतुष्ठ नहीं हुए। खनिज अधिकारी ने जिले से साढ़े दस करोड़ रुपए का राजस्व वसूलने का हवाला भी दिया। इस पर चौहान ने कहा, महिदपुर में एक ही खदान पर ३० करोड़ रुपए की पैनल्टी लगाई और जिलेभर से सिर्फ साढ़े दस करोड़ रुपए का राजस्व वसूला गया।