नवीन शिवलिंग, प्रतिमा स्थापना की मांग
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की ओर से जनसुविधा के नाम पर महाकाल मंदिर के पुरातन स्वरूप को नष्ट किया जा रहा है। स्थापित देवताओं को भी मनमाने तरीके से हटाया जा रहा है। जिन मूर्तियों को निर्माण के लिए हटाया है वे मान्यता अनुसार प्राणविहिन हो गयी हैं। इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाना आवश्यक है। इनके स्थान पर नवीन मूर्तियों और शिवलिंग की स्थापना की जाए। यह मांग करते हुए अखिल भारतीय मंदिर मठ सनातन धर्म मोर्चा के अध्यक्ष किशोरसिंह कुशवाह ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। मोर्चा के रामकिशन भरतरिया, प्रशांत यादव, स्वदेश शर्मा, छोटू राय, राजू गुरु , कमाल साध ने मंदिर के पुरातन स्वरूप से खिलवाड़ का विरोध करते हुए कहा है कि जिन पंडे-पुजारियों ने शास्त्र विरुद्ध शिवलिंग, मूर्ति हटाने की स्वीकृति दी है, उन पर कार्यवाही कर मंदिर से हटाया जाए। सभामंडप के निर्माण के लिए मंदिर प्रबंध समिति बैठक कर धर्माचार्य, आचार्य और धर्म विशेषज्ञों से चर्चा करें।
हैरिटेज लिस्ट में नहीं है मंदिर, इसलिए निर्माण में मनमानी
पत्रिका न्यू•ा नेटवर्क
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उज्जैन. पुरातत्व महत्व के स्थान पर किसी प्रकार का कार्य और गतिविधियों का संचालन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के नियम अधिनियम के दायरे में ही किया जा सकता है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर हैरिटेज (पुरातत्व महत्व के स्थान) लिस्ट में नहीं है। यही वजह है कि महाकाल मंदिर में शासन, प्रशासन, मंदिर समिति और पुजारी-पुरोहितों की मर्जी से निर्माण कार्य होते रहते हैं। सभामंडप निर्माण इसका उदाहरण है। महाकाल मंदिर परिसर में सभामंडप को बड़ा करने के लिए दो मंजिला बनाने के साथ कोटितीर्थ को कुंड छोटा किया जा रहा है। निर्माण कार्य मूल मंदिर से कुछ ही मीटर दूरी होने के साथ इसे लेकर पुरातन महत्व पर ध्यान देने की बात उठ रही है। अधिकारियों, पुजारी-पुरोहितों का भी कहना है कि मंदिर के पुरातत्व महत्व का उल्लंघन किए बगैर निर्माण किया जाना चाहिए। हकीकत तो यह है कि महाकाल मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षित स्थानों में शामिल ही नहीं है। यह खुलासा पुरातत्व अभिलेखागार के उपसंचालक से महाकाल में निर्माण कार्य को लेकर अनुमति के संबंध में हुई चर्चा के बाद हुआ है।
यह है नियम निर्माण के लिए
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पुरातत्व अधिनियम १९६४ (ए) तहत कोई पुरातन स्मारक या स्थान शासकीय गजट में अनुमोदन प्राप्त संरक्षित है या सूचीबद्ध है, इसके ३०० मीटर के दायरे में निर्माण, पुर्ननिर्माण और मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। नियम के अनुसार १०० मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण, पुनर्निर्माण और मरम्मत नहीं किया जा सकता है। अतिआवश्यक निर्माण, पुर्ननिर्माण और मरम्मत के लिए राज्य के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को विधिवत आवेदन करना होता है। अनुमति के बाद निर्माण, पुनर्निर्माण और मरम्मत पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में ही किया जा सकता है।
महाकाल मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारक/स्थान की सूची में शामिल नहीं है। ऐसे में मंदिर के कार्य और गतिविधियां हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं है। मंदिर की व्यवस्था मैनेजमेंट कमेटी के पास है। ऐसे स्थान या स्मारक जिनका संचालन ट्रस्ट या मैनेजमेंट कमेटी करती है, उन पर पुरातत्व विभाग का नियंत्रण नहीं होता है।
केएल डाबी उपसंचालक, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय प. जोन इंदौर.