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उज्जैन

कहीं आपकी लाइफ स्टाइल भी ऐसी तो नहीं, यदि है…तो हो जाएं सावधान…

विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार यदि दिनचर्या और खान-पान में सुधार नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी में से हर दूसरा व्यक्ति डायबिटिक पेशेंट होगा।

उज्जैनNov 14, 2017 / 12:03 pm

Gopal Bajpai

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आशीष प्रताप सिंह भदौरिया@उज्जैन. डायबिटीज के मरीजों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में से हर पांचवां मरीज डायबिटीज का शिकार मिलता है। इसके लिए जिम्मेदार आराम तलब जिंदगी और जंक फूड की अधिकता ने बच्चों को भी अपनी जद ने लिया है। चार वर्ष के बच्चे भी इसकी चपेट में हैं। करीब एक प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो डायबिटीज के शिकार हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार यदि दिनचर्या और खान-पान में सुधार नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी में से हर दूसरा व्यक्ति डायबिटिक पेशेंट होगा।

जिला अस्पताल में १ अप्रैल से ५ नंवबर तक डायबिटीज के १२३६४ मरीज पहुंचे हैं, जबकि इस दौरान कुल ६५९९४ मरीजों ने जिला अस्पताल में उपचार लिया। ये कुल मरीजों का करीब २० प्रतिशत है। इनमें डायबिटीज के पुराने मरीज शामिल हैं। केवल अक्टूबर महीने में ही १५६३ मरीज जिला अस्पताल पहुंचे। खास बात तो ये है कि जिला अस्पताल पहुंचने वाले डायबिटीक पेशेंट में महिलाओं का प्रतिशत अधिक है। ६० प्रतिशत महिलाएं डायबिटीक हैं, जबकि पुरुष ४० प्रतिशत इससे प्रभावित हैं। अप्रैल से अब तक जिला अस्पताल पहुंचे डायबिटीक पेशेंट में ५८७९ पुरुष जबकि ६४८५ महिलाओं में शुगर डायग्नोस की गई।

साइकिल से जाएं ऑफिस
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. सीएम पुराणिक के अनुसार डायबिटीज से बचने का सबसे अच्छा तरीका आरामदायक दिनचर्या से परहेज रखना है। अपना काम स्वयं करें। दिनभर में व्यायाम, पैदल चाल, साइकिलिंग या स्वीमिंग को दिनचर्या में शामिल करें। ऑफिस वर्क, सीटिंग जॉब या बैक ऑफिस वाले कर्मचारियों को डायबिटीज की सबसे ज्यादा आशंका बनी रहती है। इसलिए उन्हें मोटरसाइकिल या वाहन से ऑफिस जाने के बजाए साइकिल से जाना स्वास्थ्यवर्धक है। आजकल की लाइफ स्टाइल से साइकिल गायब हो गई है। जिस वजह से शुगर पेशेंट भी बढ़ रहे हैं।

तीन साल में दोगुने हुए मरीज
डायबिटीज के मरीजों की संख्या में लगातार हो रहा इजाफा बेहद गंभीर मामला है। बीते तीन वर्ष में जिला अस्पताल पहुंचने वाले डायबिटीक मरीजों की संख्या करीब दोगुना हो गई है। इनमें युवा वर्ग के मरीजों में सबसे अधिक मरीज देखने को मिल रहे हैं। जिला अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.अनिल दुबे ने बताया कि हर दस मरीजों में तीसरा मरीज किसी न किसी प्रकार से डायबिटीज से पीडि़त है। गंभीर बात तो ये है कि २५ से ४० वर्ष तक युवाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

बच्चे और युवा भी हो रहे शिकार
शिशु रोग चिकित्सक एवं एसएनसीयू प्रभारी डॉ.दिलीप वास्के ने बताया कि डायबिटीज बचपन को धीरे-धीरे अपनी चपेट में ले रहा है। वर्तमान में ४ से १६ उम्र वर्ग के हर हजारवां बच्चा डायबिटीज का शिकार है। ये आंकड़ा लगातार बढऩा है। क्योंकि इन मरीजों के बच्चों का जन्मजात डायबिटीज होने की सबसे ज्यादा संभावना रहेगी। जन्मजात डायबिटीज वाले शिशु की पेंक्रियाज ग्रंथी इंसुलिन नहीं बनाती है। जिस वजह से उन्हें उम्रभर इंसुलिन देना पड़ती है।

ऐसे बढ़े मरीज
वर्ष कुल मरीज
२०१५ ६५४१
२०१६ ९६३६
२०१७ अब तक १२३६४

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