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गर्भगृह से बाबा के दर्शन कर श्रद्धालु बोले- धन्यवाद पत्रिका

उज्जैन पत्रिका के फेसबुक पेज पर आ रहे ढेरों कमेंट्स, आम श्रद्धालुओं की आवाज बना पत्रिका

उज्जैनSep 08, 2019 / 12:34 am

Mukesh Malavat

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उज्जैन. महाकाल मंदिर में शुक्रवार से वीआइपी कल्चर पर विराम लग गया। इसके बाद दूरदराज से आए श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जाकर बाबा महाकाल के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। ऐसे में श्रद्धालु बाबा के दर्शन के साथ ही पत्रिका को धन्यवाद भी बोल रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि महाकाल के दरबार में सब एक समान हैं। कोई वीआइपी नहीं होना चाहिए। सभी को कतार में लगकर ही दर्शन करना चाहिए। अब वीआइपी कल्चर खत्म हो गया है। ऐसे में आम श्रद्धालु अभिभूत नजर आ रहे हैं।
सावन-भादौ में डेढ़ माह महाकाल के आम भक्तों को गर्भगृह से दर्शन नहीं हुए। इसके बाद मंदिर में सुबह और दोपहर में दो-दो घंटे का समय वीआइपी के लिए आरक्षित कर दिया गया। यह समय पहले एक-एक घंटे का था, जिसे बढ़ा दिया गया। इसका मतलब था कि इस समय किसी भी आम श्रद्धालु को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस पर पत्रिका ने आम श्रद्धालुओं की परेशानी को उठाया। साथ ही पत्रिका उज्जैन के फेसबुक पेज पर अभियान चलाया, जिसमें शहरवासियों ने वीआइपी कल्चर को खत्म करने के लिए आवाज उठाई। इसके बाद शुकवार को यह व्यवस्था खत्म कर दी गई। इसके बाद पत्रिका उज्जैन के फेसबुक पेज पर लोग पत्रिका को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं, साथ ही भक्तों की अन्य परेशानियों को भी साझा कर रहे हैं।
सुबह 6 से 10 बजे तक कराए गर्भगृह से दर्शन, भीड़ बढ़ी तो नंदी हॉल तक ले आए भक्तों को
शनिवार को महाकाल मंदिर में सामान्य दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी। मंदिर समिति ने सुबह 6 से 10 बजे तक सभी को गर्भगृह से दर्शन कराए। इसके बाद जब और अधिक भीड़ बढऩे लगी, तो गर्भगृह से सभी का प्रवेश रोककर नंदी हॉल तक लाकर यहीं से सभी को दर्शन करने की व्यवस्था की गई।
प्रवेश बंद का नियम भी हुआ शिथिल
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने शनिवार, रविवार और सोमवार को गर्भगृह में सभी के लिए प्रवेश प्रतिबंध का नियम बनाया है। प्रवेश बंद के दौरान यदि कोई वीआइपी आते हैं, तो उन्हें सोला-धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है। वहीं सामान्य दर्शनार्थी नंदी हॉल के पीछे बैरिकेड्स से दर्शन कर सकते हैं। इस व्यवस्था को शनिवार होने के बावजूद सुबह 6 से 10 बजे तक शिथिल रखा गया, जिसमें आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश दिया गया और दर्शन कराए गए। इसके साथ ही शनिवार को दक्षिण भारत की पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णातीर्थ भी मंदिर पहुंची थी। वे वीआइपी के लिए निर्धारित समय 2 बजे के पहले मंदिर पहुंच गई थी, लेकिन उन्होंने 2 बजने का इंतजार किया और उसके बाद ही वे गर्भगृह में दर्शन करने आईं। उनके साथ आठ सदस्य थे, जिन्होंने सोला-धोती पहन रखा था। इस दौरान आम श्रद्धालुओं ने नंदीजी की प्रतिमा के पीछे से दर्शन किए।
पत्रिका उज्जैन फेसबुक पेज पर ऐसे-ऐसे कमेंट… धन्यवाद पत्रिका, बहुत सुंदर हुई व्यवस्था
बाबा महाकाल के गर्भगृह में जाकर अपने आराध्य के निकट से दर्शन करना, उन्हें स्पर्श करना लोगों को अभिभूत कर रहा है। उज्जैन पत्रिका फेसबुक पेेज पर नई व्यवस्था पर देश के विभिन्न स्थानों से लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। वर्तमान व्यवस्था को सुंदर बताते हुए लोगों को आशंका भी है कि कहीं प्रशासन इसमें फिर बदलाव न कर दे। कुछ यूजर्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने पुराने अनुभवों को शेयर किया है।
-उज्जैन के यशवंत वर्मा का कहना है कि बहुत सुंदर व्यवस्था हुई जय श्री महाकाल 12 महीने से ही रहना चाहिए।
-गुजरात वाटर रिसोर्सिज डवलपमेंट कंपनी के जियोजोलॉस्टि केपी सिंह राठौर का कहना है कि बहुत अच्छा काम किया है पत्रिका ने।
-बागली देवास के टीचर समरसिंह सेनदेव कहते हैं बाबा को स्पर्श करना बहुत अच्छा लगा है, गर्भगृह में जाने देने की अनुमति देने के लिए धन्यवाद।
-असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ गणेश प्रसाद द्विवेदी ने पोस्ट किया है कि यह निर्णय शाश्वत रहना चाहिए।
-संतोष सिंह ने बताया यह व्यवस्था स्थाई रूप से रहना चाहिए।
-बरेली के सब स्टॉक ब्रोकर प्रियंक शर्मा के अनुसारकावड़ के समय पैसे दो भोलेनाथ से मिलो, वरना अंदर तक नहीं जाने दिया जाता है कांवडिय़ों को।
-अमृतसर, पंजाब के राजन कालरा ने लंबी पोस्ट में कहा कि मेरा बुरा अनुभव है। अमृतसर से महाकाल सिर्फ दर्शन करने आए थे और तीन-चार दिन तक कोई दर्शन नहीं हुए। पैसे दिए पंडित को तो नंदी हॉल से दर्शन किए। मैं तो महाकाल को बोल के आया था कि मेरे को न बुलाना, बहुत बुरा लगा है यह सब देखकर। दिल से उदास हूं इन पंडितों की हरकतों से।

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