सुबह 8.9 बजे से शुरू हुआ ग्रहण
पौष कृष्ण अमावस्या को खंडग्रास सूर्यग्रहण सुबह 8 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ हुआ तथा मोक्ष सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर हुआ। ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 49 मिनट की रही। इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पूर्णत: वर्जित रहा। सूर्यग्रहण प्रात:काल होने से परंपरानुसार भगवान महाकाल की आरती का समय परिवर्तित किया गया। शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा ने बताया भस्म आरती अपने नियत समय पर ही हुई। नैवेद्य (भोग) आरती का समय सुबह 7 से 7:45 तक रहा। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया एवं भगवान का भोग तैयार हुआ, उसके बाद भोग आरती लगभग दोपहर 12 बजे हुई।
इन मंदिरों में बदली रही व्यवस्था
मंगलनाथ और अंगारेश्वर में 11 बजे बाद भातपूजा हुई। श्रीअंगारेश्वर मंदिर के पुजारी मनीष उपाध्याय ने बताया प्रतिदिन होने वाली भात पूजन सुबह 11 बजे बाद से प्रांरभ की गई, वहीं मंगलनाथ मंदिर में भी प्रतिदिन होने वाली भात पूजा का समय बदला गया। प्रबंधक एनएस राठौर ने बताया सुबह 6 बजे होने वाली प्रात:कालीन आरती का समय 11 बजे किया गया। भात पूजा भी मोक्ष के बाद ही शुरू हुई।
इस्कॉन मंदिर में कीर्तन-भागवत कथा
इस्कॉन मंदिर के पीआरओ राघव पंडितदास ने बताया सूर्यग्रहण के कारण 8 से 11 बजे के मध्य भोग नहीं बना। प्रसाद ग्रहण तथा स्नान आदि का त्याग करते हुए अधिक से अधिक भगवान नाम का कीर्तन, भगवत कथा का श्रवण किया गया। भगवान की आरती और पूजा यथावत चलती रही।
सांदीपनि आश्रम में 12.30 बजे खुले पट
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली महर्षि सांदीपनि आश्रम में सूर्यग्रहण के कारण मंदिर के पट दोपहर 12.30 बजे खुले। पुजारी पं. रूपम व्यास ने बताया ग्रहण का मोक्ष 10.58 पर हुआ। इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान को स्नान कराकर, नए वस्त्र धारण कराए और आरती हुई। श्रद्धालुओं के लिए दर्शन 12.30 बजे से शुरू किए गए।