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उज्जैन

solar eclipse: सूर्यग्रहण के बाद शिप्रा में लगाई श्रद्धालुओं ने डुबकी

Ujjain News: बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रामघाट पहुंचकर स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाए गए फव्वारों में स्नान किया।

उज्जैनDec 26, 2019 / 01:36 pm

Lalit Saxena

Devotees take a dip in Shipra after solar eclipse

Ujjain News: बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रामघाट पहुंचकर स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाए गए फव्वारों में स्नान किया।

उज्जैन. करीब 144 वर्ष बाद खंडग्रास सूर्यग्रहण गुरुवार को हुआ। हालांकि उज्जैन में यह पूर्ण रूप से नहीं दिखा। केवल 60 प्रतिशत सूर्यग्रहण का नजारा जीवाजी वेधशाला में खगोल प्रेमियों ने मैग्नीफायर ग्लास के माध्यम से देखा। धार्मिक नगरी होने के कारण सुबह से ही मंदिरों के पट बंद रहे। वहीं सुबह होने वाली आरती और पूजन व्यवस्था में बदलाव किया गया। दोपहर 11 बजे के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रामघाट पहुंचकर स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाए गए फव्वारों में स्नान किया। ग्रहण के कारण महाकाल सहित शहर के अन्य मंदिरों में दर्शन-पूजन व्यवस्था में बदलाव रहा।

सुबह 8.9 बजे से शुरू हुआ ग्रहण
पौष कृष्ण अमावस्या को खंडग्रास सूर्यग्रहण सुबह 8 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ हुआ तथा मोक्ष सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर हुआ। ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 49 मिनट की रही। इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पूर्णत: वर्जित रहा। सूर्यग्रहण प्रात:काल होने से परंपरानुसार भगवान महाकाल की आरती का समय परिवर्तित किया गया। शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा ने बताया भस्म आरती अपने नियत समय पर ही हुई। नैवेद्य (भोग) आरती का समय सुबह 7 से 7:45 तक रहा। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया एवं भगवान का भोग तैयार हुआ, उसके बाद भोग आरती लगभग दोपहर 12 बजे हुई।

Devotees take a dip in Shipra after solar eclipse
IMAGE CREDIT: patrika

इन मंदिरों में बदली रही व्यवस्था
मंगलनाथ और अंगारेश्वर में 11 बजे बाद भातपूजा हुई। श्रीअंगारेश्वर मंदिर के पुजारी मनीष उपाध्याय ने बताया प्रतिदिन होने वाली भात पूजन सुबह 11 बजे बाद से प्रांरभ की गई, वहीं मंगलनाथ मंदिर में भी प्रतिदिन होने वाली भात पूजा का समय बदला गया। प्रबंधक एनएस राठौर ने बताया सुबह 6 बजे होने वाली प्रात:कालीन आरती का समय 11 बजे किया गया। भात पूजा भी मोक्ष के बाद ही शुरू हुई।

इस्कॉन मंदिर में कीर्तन-भागवत कथा
इस्कॉन मंदिर के पीआरओ राघव पंडितदास ने बताया सूर्यग्रहण के कारण 8 से 11 बजे के मध्य भोग नहीं बना। प्रसाद ग्रहण तथा स्नान आदि का त्याग करते हुए अधिक से अधिक भगवान नाम का कीर्तन, भगवत कथा का श्रवण किया गया। भगवान की आरती और पूजा यथावत चलती रही।

सांदीपनि आश्रम में 12.30 बजे खुले पट
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली महर्षि सांदीपनि आश्रम में सूर्यग्रहण के कारण मंदिर के पट दोपहर 12.30 बजे खुले। पुजारी पं. रूपम व्यास ने बताया ग्रहण का मोक्ष 10.58 पर हुआ। इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान को स्नान कराकर, नए वस्त्र धारण कराए और आरती हुई। श्रद्धालुओं के लिए दर्शन 12.30 बजे से शुरू किए गए।

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