गांव में एक ही हैंडपंप बचा, वह भी दोपहर बाद नहीं उगलता पानी
उज्जैन•Jun 04, 2019 / 12:49 am•
Mukesh Malavat
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नागदा. शहर के समीप एक ऐसा गांव है, जहां स्कूली बच्चों की छुट्टियां पानी खोजने में बीत जाती है। इतना ही नहीं पानी की आफत से बच्चे इस कदर डरे रहते है कि शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद एक भी दिन स्कूली की छुट्टी नहीं मारते। दरअसल शहर से सटे ग्राम रत्नाखेड़ी में वर्षभर जलसंकट गहराया रहता है। परेशानी तब बढ़ती है जब हैंडपंप भी पानी उगलना छोड़ देते है। गांव के हालात इस कदर खराब हो जाते है कि बच्चे सुबह 7 बजे से करीब 500 मीटर दूर से पानी ढोने की जुगत में लग जाते हैं। पेयजल किल्लत को लेकर गांव की सरपंच ने पीएचइ व विकासखंड सीइओ को कई बार पत्र लिखा, लेकिन जिम्मेदार अफसर गांव की सुध लेना जरूरी नहीं समझते।
5 हैंडपंप, चार ने तोड़ा दम
गांव में 5 हैंडपंप है, जिनमें से चार ने दम तोड़ दिया है। बचा हुआ एक हैंडपंप दोपहर 12 बजे बाद पानी नहीं उगलता, जिसके बाद ग्रामीण खेतों व अन्य स्थानों पर मौजूद जलस्त्रोतों से पानी जुटाते हैं। विड़बना यह है कि इन दिनों विद्युत वितरण कंपनी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मेंटेनेंस का बहाना कर असमय बिजली कटौती कर रही है। परिणाम स्वरूप खेतों पर मौजूद कुओं से ग्रामीण पानी नहीं भर पाते। ग्रामीणों ने मामले को लेकर कई बार विविकं में शिकायत की लेकिन अफसर यह हवाला देकर कन्नी काट जाते है कि फाल्ट की वजह से कटौती की जा रही है।
500 मीटर दूर से लाना पड़ता है पानी
बिजली कटौती की स्थिति में ग्रामीण 500 मीटर दूर पर मौजूद कुएं से पानी लेकर आते है। हालात यह हो जाते है कि गांव की बालिकाएं साइकिल से पानी ढोकर पानी लेकर पहुंचती है। इस प्रकार स्कूली बालिकाओं की गर्मी की छुट्टियां पेयजल जुटाने में बीत जाती है।
ग्रामीणों की पीड़ा
बिजली कटौती बनती है परेशानी
ग्रीष्म ऋतु में सबसे अधिक परेशानी पेयजल जुटाने की रहती है। मौजूदा पानी जुटाने के लिए गांव की सीमा से लगे कुओं व अन्यत्र स्थानों से पानी जुटाना पड़ता है। ग्राम के सरपंच द्वारा कई बार शिकायत की गई, लेकिन पीएचइ अफसरों ने ग्राम की ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा।
गांव में एक ही हैंडपंप पानी उगल रहा है। दोपहर 12 बजे बाद उक्त हैंडपंप से भी पानी आना बंद हो जाता है। परेशानी तब उत्पन्न होती है, जब सुबह के समय विद्युत प्रदाय बंद कर दिया जाता है। भीषण दोपहरी में विद्युत प्रदाय करने से ग्रामीणों के लिए खेतों पर पहुंचकर मोटर चलाकर पानी भरना मुश्किल होता है।
राजेंद्रसिंह, ग्रामीण
यह बात सही है ग्राम के हैंडपंपों ने दम तोड़ दिया है, लेकिन सबसे अधिक परेशानी अघोषित कटौती है। असमय किए जाने वाली कटौती से ग्रामीणों को मौजूदा जलस्त्रोतों से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसे में ग्रामीणों को अन्य स्थानों से पानी जुटाना पड़ता है। क्षतिग्रस्त हो चुके हैंडपंप को दुरुस्त किए जाने के लिए पीएचइ को लिखित शिकायत की गई है।
सरे कुंवर, सरपंच ग्राम रत्नयाखेड़ी
ग्राम रत्नयाखेड़ी में बीते 15 मई व 6 अप्रैल को एक हैंडपंप में सुधार कार्य करवाया गया है। यदि फिर किसी प्रकार की तकनीकी खराब है तो दोबारा भेजकर हैंडपंपों को दिखवा लिया जाएगा। विकासखंड के गांवों में 15-15 दिनों में रूटीन हैंडपंपों की जांच की जाती है।
शुदांशु जैन, एसडीओ, पीएचई, खाचरौद