विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार सभी विभागों से जुड़े लोगों की मांग को पूरा करने में लगी हुई है। इस के चलते लगभग विभागों की समस्याओं के समाधान के प्रयास भी हुए, लेकिन शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों की समस्याओं और मांगों पर निर्णय नहीं हो पाया है। अतिथि शिक्षक विभिन्न मांगों को लेकर पिछले विधानसभा चुनाव में आंदोलन पर थे। चुनावी वर्ष में अतिथि शिक्षकों ने आंदोलन को काफी तेज किया। इसमें महिला शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आंदोलन को प्रभावित करने के लिए विभाग ने सत्र खत्म होते ही सभी अतिथि शिक्षकों की सेवा को खत्म कर दिया, लेकिन आंदोलन लगातार जारी है। जिले से प्रदेश स्तर तक विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन दिए जा रहे हैं। अब एक बार फिर शिक्षक दिवस से अतिथि शिक्षकों ने अपने अपने आंदोलन को तेज करने की रूपरेखा तैयार की है। इस दिन सभी अतिथि शिक्षक कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे और शासन के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। शनिवार को अतिथि शिक्षक की उज्जैन इकाई ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंप कर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान राजेश शर्मा, विनोद तिवारी, कृष्णा रजक, ललिता शर्मा, अमर सिंह, माखन लाल, असलम पटेल, शुभम व्यास, विमल शर्मा, वृजेश दोहरे आदि उपस्थित रहे।
2011 में हुई नियमिती की घोषणा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष २०११ में अतिथि शिक्षकों को योग्यता के अनुरूप नियमित करने की घोषणा की। इसके बाद से ही अतिथि शिक्षक नियमित किए जाने की मांग रहे हैं। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती। तब तक निर्धारित वेतन, वर्षभर का वेतन, सेवा से बाहर नहीं करने जैसी तमाम मांग भी उठा रहे हैं।