तीन माह से ऐसे जारी खींचतान
विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति पद को लेकर मची खींचतान खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व कुलपति डॉ. एसएस पाण्डे के इस्तीफे के बाद कुलाधिपति (राज्यपाल) ने विवि के डॉ. बालकृष्ण शर्मा को प्रभार दिया। इसी बीच विवि में जारी आर्थिक और प्रशासनिक अनियमिताओं की जांच के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग ने धारा 52 लागू कर दी। अब विवि में धारा 52 के तहत कुलपति की नियुक्ति होनी थी। यह प्रक्रिया करीब एक माह तक अटकी रही। इसके बाद राजभवन ने फिर धारा 52 के तहत डॉ. बालकृष्ण शर्मा को नियुक्त कर दिया। इस नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने आपत्ति ली। इसके पीछे कारण धारा 52 के तहत नियुक्ति राज्य सरकार के परामर्श से होती है। राज्य सरकार ने तीन लोगों का पैनल बनाकर भेज दिया। राजभवन ने पैनल में शामिल नाम की जगह खुद के पैनल से नियुक्ति कर दी।
न्यायालय में पहुंचा विवाद
राज्य सरकार ने अध्यादेश के विरुद्ध हुई नियुक्ति पर आपत्ति दर्ज करवाई। सरकार के पैनल में इंदौर के एसएस गर्ग का नाम भी कुलपति पद के लिए था। इन्होंने इंदौर हाईकोर्ट में डॉ. बालकृष्ण शर्मा की नियुक्ति को चुनौती दी। एकल बैंच में मामला खारिज हो गया। इसके बाद डबल बैंच में गया। यहां पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कुलाधिपति को नोटिस जारी हुए हैं। एक माह बाद प्रकरण पर फिर सुनवाई है।
पूर्व कुलपति की जांच दबी
विक्रम विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे की किताब खरीदी व शिक्षक नियुक्ति की जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर जारी है। न्यायालय के निर्देश पर जांच हुई। कुलपति को नोटिस जारी हुआ। कुलपति ने नोटिस के जवाब के साथ इस्तीफा दे दिया। इसके बाद तीन माह से राजभवन जांच की अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर पाया है। इस कारण जांच पूरी तरह से रुकी हुई।