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उज्जैन

एक ही कॉलेज में कैसे टिक गए यह प्रोफेसर

कई कुछ साल अन्य जगह सेवा देकर लौट आए, लंबे समय पर जमे होने के कारण प्रभावित शैक्षणिक कार्य

उज्जैनMay 11, 2018 / 07:12 pm

Gopal Bajpai

patrika

Madhav College

उज्जैन. उच्च शिक्षा विभाग तीन से पांच साल के बाद शैक्षणिक स्टाफ का कार्यस्थल बदलने की बात करता है, लेकिन माधव कॉलेज उक्त नीति से बेअसर है। माधव कॉलेज में २१ से ज्यादा प्रोफेसर १० साल से ज्यादा समय बीता चुके हैं। साथ ही कई प्रोफेसर ऐसे है जो चंद साल के लिए अन्य कॉलेज में सेवा देकर वापस लौट आए। इसका असर कॉलेज की अकादमिक गतिविधियों पर दिखाई देता है।

शैक्षणिक माहौल प्रभावित

लंबे समय से शैक्षणिक स्टाफ के कॉलेज में जमे होने के कारण शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है। परीक्षा ड्यूटी, कक्षाओं के समय पर नहीं लगने व प्राचार्य के आदेश को ही हवा में उड़ाने जैसे मामले सामने आ चुके हैं। गत सत्र में ही कई बार कॉलेज की अव्यवस्था उजागर हो चुकी है।

शिक्षकों की गुटबाजी बनता विवाद का कारण

माधव कॉलेज में प्रोफेसरों की गुटबाजी हमेशा से चरम पर रही है। वर्ष २००७ में प्रोफेसरों के आपसी विवाद ही प्रो. सभरवाल की हत्याकांड का जिम्मेदार बना। कुछ प्रोफेसरों ने स्टाफ कौंसिल की चर्चा को छात्र संगठन के प्रतिनिधि तक पहुंचा दिया। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। कुछ ऐसा ही वर्ष २०१५ शिक्षक मनोज सवैया के साथ हुआ। जो कुछ छात्राओं ने सवैया पर झूठे आरोप लगाए। एबीवीपी छात्राओं के पक्ष में आ गई। प्राचार्य के कक्ष में एनएसयूआई और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हुई। मनोज सवैया बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अतिरिक्त संचालक ने प्रकरण की जांच की तो आरोपों में सच्चाई नहीं मिली।

यह है २१ शिक्षकों की पदस्थापना
आरएस विद्यार्थी – १९९२

संगीता वत्स – १९९३
शारदा शिंदे – १९९४

चन्द्रकांत तेजवानी – ९४
गुलाम हुसैन – १९९४

आरसी शर्मा – १९९४
संतोष शर्मा – १९९४

राजश्री शर्मा – १९९६
संगीता दुबे – १९९६

एस के जैन – १९९७
बीएस अखण्ड – १९९८

संजीव शर्मा – १९९९
अल्पना उपाध्याय – १९९९

आरआर गोरास्या – २००२
सुरेश मकवाना – २००२

टी.बी श्रीवास्तव – २००३
आरए नागौरी – २००३

रवि मिश्र – २००४
अंजलि व्यास – २००५

बीएस मक्कड़ – २००५
राजश्री सेठ -२००६

जानकारी आरटीआइ के अनुसार

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