ज्योतिष की दृष्टि से मौसम
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि पंचागीय गणना के अनुसार ग्रह-गोचर में शनि वर्तमान में धनु राशि में वक्री चल रहे हैं, शनि का चर्तुगृही युति से खड़ाष्टक योग चल रहा है, ये चार ग्रह क्रमश: सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र इनके प्रभाव से मौसम परिवर्तन तथा मंगल-शुक्र का संयोग जब शनि से वक्रगत होता है, तो स्थितियां विपरीत होती हैं। मौसम का कारक ग्रह बुध भी वक्री चल रहा है, इसके कारण जलवायु का परिवर्तन चक्र है। मैदिनी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब इस प्रकार का ग्रह योग बनता हो, तो ऋतु चक्र में परिवर्तन होता है।
हरियाली अमावस्या से बदलेगा मौसम का मिजाज
1 अगस्त को हरियाली अमावस्या पर बुध मार्गी होने वाले हैं, तब से ही मौसम में परिवर्तन दिखाई देगा, साथ ही मंगल ग्रह का 9 अगस्त को मघा नक्षत्र तथा सिंह राशि में प्रवेश होगा। साथ ही 11 अगस्त को बृहस्पति मार्गी होंगे तथा अमावस्या के दौरान अधिकांश ग्रहों के जला व नीरा नाड़ी में होने से अन्यत्र भी वर्षा के योग बन सकेंगे। बृहस्पति के मार्गी होने से परिस्थिति में सुधार के संकेत होंगे। साथ ही 9 अगस्त के बाद मंगल का परिवर्तन भी जलवायु को सहयोग कर सकेगा। क्योंकि मंगल सिंह में प्रवेश करेगा, जिसका स्वामी सूर्य है साथ ही सूर्य का तात्कालिक स्थिति में कर्क राशि का गौचर आंशिक तौर पर परिस्थितियों को अनुकूल तथा श्रेष्ठ स्थिति को दर्शाएगा। हालांकि 15 अगस्त के बाद सूर्य का भी सिंह राशि में मंगलादित्य योग बनेगा। यह भी कहीं-कहीं खंड वृष्टि के योग बनाएगा। किंतु अमावस्या से पूर्णिमा तक का यह पक्षकाल देश में वर्षा ऋतु के चक्र को सकारात्मक सहयोग देगा।