धरना आंदोलन के बाद विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने साधु-संतों की अगुवाई में 27 जनवरी की सुबह 11 बजे से गोवर्धन सागर पर श्रमदान आरंभ करने का निर्णय लिया है। कलेक्टर ने कहा कि संतों द्वारा पूर्व में क्षिप्रा शुद्धीकरण के लिए भी जो मांगें उठाई गई थीं, उन्हें राज्यशासन ने बेहद गंभीरता से लिया है। अब सप्तसागरों की दुर्दशा की ओर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। गोवर्धन सागर के विकास के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा कार्ययोजना बनाई गई है। यहां विकास कार्यों के लिए 13 करोड़ रुपए स्वीकृत भी है। कलेक्टर ने कहा कि न्यायालयीन विवादों की वजह से प्रशासन यहां अपनी योजना पर काम शुरू नहीं कर सका है, जब भी कोर्ट का आदेश होगा, प्रशासन यहां अपनी योजना को मूर्त रूप देगा। 26 जनवरी को सुबह 11.30 बजे धरना स्थल पर ही गणतंत्र दिवस समारोह मनाने और झंडावंदन का निर्णय लिया है।
महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने 70 दिन के बाद ग्रहण किया अन्न
महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने करीब 70 दिन के बाद मंगलवार को अन्न ग्रहण किया। क्षिप्रा शुद्धिकरण की मांग को लेकर उन्होंने क्षिप्रा किनारे श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित श्री दादूराम आश्रम परिसर में अन्न त्याग दिया था। तभी से वे केवल नारियल पानी, फलों का ज्यूस आदि ही ग्रहण कर रहे थे।
कलेक्टर आशीष सिंह ने मंगलवार को गोवर्धन सागर तट पर संतों के धरने में महामंडलेश्वर से भी मुलाकात की व उनके हालचाल जाने। कलेक्टर ने ज्ञानदास महाराज से कहा कि क्षिप्रा शुद्धिकरण को लेकर शासन-प्रशासन स्तर पर काम चल रहे हैं। उन्होंने प्रमुख काम गिनाते हुए संतश्री को क्षिप्रा के पूर्ण रूप से शुद्धिकरण होने के प्रति आश्वत किया और निवेदन किया कि अब अपना अन्न त्याग आंदोलन समाप्त कर दें तथा अन्न ग्रहण कर लें। संतश्री ने जब इसकी स्वीकृति प्रदान की, तब कलेक्टर ने उन्हें अन्न खिलाकर उनका यह आंदोलन समाप्त कराया। महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने बताया 16 नवंबर 2021 में उन्होंने क्षिप्रा के लिए अन्न त्यागकर यह आंदोलन शुरू किया था व 25 जनवरी को 70 दिन के बाद इसे समाप्त कर रहे हैं। क्षिप्रा शुद्धिकरण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।