एक दिन छोड़कर जलप्रदाय का असर यहां भी
पेयजल का संकट, अन्य स्रोत की तलाश
पेयजल का संकट, अन्य स्रोत की तलाश
उज्जैन. शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय करने का प्रभाव महाकाल मंदिर में भी हुआ है। मंदिर आने वाले श्रद्धालुआें को पेयजल संकट का सामना करना पड रहा है। पीएचई द्वारा अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने में असमर्थता जाहिर करने के बाद महाकाल मंदिर प्रबंध समिति पानी के लिए अन्य स्रोत की तलाश कर रही हैं। फिलहाल वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे हैं।
शहर की प्यास बुझाने वाले गंभीर डैम में पानी की कमी के कारण नगर निगम ने एक दिन छोड़कर जल प्रदाय का निर्णय लिया है। शहर के साथ इसका असर महाकाल मंदिर में भी हुआ है। नियमित जलप्रदाय से मंदिर की पानी की टंकी एक दिन में ही खाली हो जाती है। इससे मंदिर मेंं जलसंकट शुरू हो गया है। इन दिनों ग्रीष्म अवकाश होने के कारण बाहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। एेसे में पानी की खपत तो अधिक बनी हुई, लेकिन आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।
टंकी पर निर्भरता
महाकाल मंदिर परिसर में ओवरहेड टंकी है और इसमें पीएचई की आपूर्ति से जलसंग्रह होता है। टंकी से पानी को आरओ प्लांट से पेयजल की व्यवस्था के लिए होती है। पानी की व्यवस्था मंदिर की टंकी और आरओ वाटर प्लांट पर निर्भर है। पीएचई के नियमित जलप्रदाय नहीं होने से टंकी खाली रहती है। जितनी क्षमता का आरओ प्लांट है, उससे पानी की पूर्ति नही हो पा रही है। टंकी से पानी आरओ प्लांट में देकर शुद्ध किया जाता है। इधर नगर निगम ने गंभीर बांध में पानी की स्थिति गंभीर होने से शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। लिहाजा जिस दिन पीएचई से पानी सप्लाय नही होता है,उस दिन टंकी भी खाली रह जाती और मंदिर में पानी संकट होता है। एेसे में एक दिन छोड़कर एक दिन मंदिर में पानी की किल्लत शुरू हो गई। रविवार को मंदिर में पेयजल का संकट हो गया। हालांकि मंदिर समिति द्वारा पानी के वैकल्पिक इंतजाम किए जाते हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या के मान से पर्याप्त पानी नहीं होने से श्रद्धालुओं को खरीद कर या अन्य स्थानों से लेकर प्यास बुझानी पड़ती है। सामान्य दर्शनार्थियों के मार्ग में पेयजल की व्यवस्था के लिए बड़े मटके रखवा दिए हैं।
पीएचई का इनकार
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा श्रद्धालुओं के पेयजल की व्यवस्था के लिए पीएचई को प्रतिदिन १० टैंकर पानी देने का प्रस्ताव दिया था। पीएचई ने पानी देने से इनकार कर दिया। मंदिर परिसर में जल स्रोत है, लेकिन इसका पानी आरओ प्लांट में उपयोग और पीने लायक नहीं है। फिलहाल मंदिर प्रबंध समिति टैंकर मंगवाकर टंकी में पानी संग्रह करने की व्यवस्था की है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति पीने की पानी के लिए अन्य स्रोत की तलाश कर रही है। उचित स्रोत मिलने के बाद टैंकर के माध्यम से पानी लाकर टंकी को भरा जाएगा। आरओ प्लांट में ट्रीटमेंट के बाद ४० प्रतिशत पानी उपयोग में आता है, शेष ६० प्रतिशत वेस्ट वाटर होता है। इसका उपयोग मंदिर के अन्य कार्य के साथ परिसर के पौधों को पानी देने और मंदिर की सफाई के उपयोग होगा।
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