उज्जैन। कोरोना ने कई लोगों का रोजगार छीन लिया, कई लोग छंटनी के शिकार हो गए। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें लाखों रुपए का पैकेज मिलता था, अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर खेतों की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रदेश में कई लोग हैं, जो अपनी नौकरी छोड़कर अपनी माटी से जुड़ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं उच्च शिक्षित आइआइटीएन दंपती की, जिन्होंने हाल ही में लाखों का पैकेज छोड़ा और उज्जैन के पास जमीन खरीद ली और गैंती-फावड़ा उठा कर खेती करने में जुट गए हैं। कई लोग शौक के लिए भी खेती अपना रहे हैं, कोई व्यवसाय के लिए अपना रहा है। कोई बड़े शहरों के कोलाहल से दूर होकर सुकून के लिए खेती अपना रहा है।
आइआइटी पास आउट और आइटी सेक्टर की नौकरी को छोड़कर अर्पित और साक्षी खेती किसानी के रास्ते पर चल पड़े हैं। दंपती ने अपने खेत में तरह-तरह के पौधे लगाए हैं, ताकि प्रकृति का संतुलन बना रहे। उन्होंने बड़नगर में अपने दोस्त की मदद से काली मिट्टी वाली एक-डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी। यहां करंज का पेड़ लगाया। ये पेड़ हवा से नाइट्रोजन खींचकर जमीन में ट्रांसफर करता है।
करंज के पत्तों से बने काढ़े से पत्तों में कीड़े लगने पर छिड़काव किया जाता है। टहनियों को काटकर फलदार पौधों के पास बिछा देते हैं। पत्तियां जमीन में खाद का काम करती हैं। ऐसे जैव विविधता के आधार पर खेती के स्थाई सिस्टम का मॉडल बनाकर वे दुनिया के सामने पेश करना चाहते हैं।
अर्पित ने बताया कि वे परमाकल्चर फार्मिंग कर रहे हैं। वे फल, सब्जियां, दालें एवं अनाज उगा रहे हैं। इन्होंने 75 प्रकार के पौधे खेत में लगाए हैं। अर्पित जोधपुर के रहने वाले हैं।
उन्होंने आइआइटी मुम्बई से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। मुम्बई में साक्षी से मुलाकात हुई। ओलम्पियाड में दोनों को गोल्ड मेडल मिला था। साक्षी ने आइआइटी दिल्ली से ग्रेजुएशन किया है और उन्होंने 2013 में शादी की। दोनों बेंगलूरु में जॉब करने के बाद विदेश चले गए थे।