वर्तमान में संदेशों का आदान-प्रदान होता है फेसबुक और वाट्सऐप से
उज्जैन•Dec 07, 2019 / 01:03 am•
Mukesh Malavat
वर्तमान में संदेशों का आदान-प्रदान होता है फेसबुक और वाट्सऐप से
उज्जैन. आधुनिक युग में हमें आज भी खत, डाकिये और खतों के इंतजार के लम्हे याद आते हैं। वाट्सऐप, फेसबुक के चलन से पत्र लेखन का काम धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। हालांकि सरकारी कामों में इन पत्र लेखन का काम जिंदा है। वर्तमान में संदेशों का आदान-प्रदान होता है, मगर जो जज्बात पत्र लेखन के समय उमड़ते थे, वह अब नदारद हैं। उस समय डाकिया जब पत्र लेकर अपने घर पहुंचता था तो अपनों की यादें ताजा हो जाती थीं।
आधुनिक युग में भेजा गया संदेश एक व्यक्ति तक ही सीमित रहता है। इस संदेश में परिवार की भावना नहीं होती है। पत्र लेखन में पूरे परिवार की दिल की बातें और उनका भाव रहता था। उसी पत्र को पढऩे के लिए महीनों, वर्षों इंतजार करना पड़ता था। बच्चों के लिए भाषा सीखने और समृद्ध करने तथा बड़ों के लिए भावनाओं की अभिव्यक्ति साकार रूप में करने का बढिय़ा माध्यम था पत्र लेखन। डाकघरों में पोस्ट कार्ड और अंतरदेशी पत्र की बिक्री हो रही है। देवासगेट पोस्ट मास्टर लक्ष्मी नारायण चौहान के मुताबिक महीने में 7-8 हजार पोस्टकार्ड बिक जाते हैंं।
छात्रों को पत्र लिखना सिखाया जाता था
अभी-भी पत्र लेखन का महत्व कम नहीं हुआ है। पहले एक समय था जब पत्र लेखन के लिए स्कूलों में अलग से कक्षाएं लगती थी और विद्यार्थियों को पत्र लिखना सिखाया जाता था। उस जमाने में लिखा गया पत्र लेखन का बहुत महत्व होता था। उन पत्रों में अपनी भावना छुपी रहती थी। अब आधुनिक युग में भेजा गया संदेश एक व्यक्ति तक ही सीमित रहता है, इस संदेश में परिवार की भावना नहीं होती है।
अमृतलाल अमृत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
समाचारों का बेसब्री से रहता था इंतजार
वाट्सऐप और फेसबुक के इस दौर में हमें आज भी डाकिये और खतों के इंतजार के लम्हे याद आते हंैं। इसमें कोई शक नहीं है कि देश ने संचार क्रांति के युग में छलांग लगाई है। यह भी सच है कि गुजरा हुआ जमाना दोबारा नहीं आता है। उस जमाने को भुलाया नहीं जा सकता, खासकर पत्र लेखन और पत्रों के आदान-प्रदान के युग को। उस दौर को याद करें तो पत्रों के माध्यम से भावाभिव्यक्ति, कुशलमंगल कामना और कुशल समाचार की प्राप्ति होती थी।
– रमेशचंद्र शर्मा, साहित्यकार
पत्र लिखने में अपनेपन की भावना थी
वर्तमान में सूचना तंत्र बहुत मजबूत होता जा रहा है। कुछ वर्षों पूर्व संचार के माध्यम न के बराबर थे। उस समय एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश पहुंचाने के लिए पोस्टकार्ड का उपयोग किया जाता था। जब पत्र दूसरे के पास पहुंचता तो पूरा परिवार उस पत्र को बहुत महत्व देता था। उस पत्र में अपनेपन की भावना होती थी। वर्तमान में संदेश आदान-प्रदान होता है, मगर सूचना तंत्र के तरीकों में परिर्वतन हुआ है। जो बातें एक पत्र लेखन के समय हुआ करता थी वह अब नदारद है।
राजेश राय, युवा सामाजिक कार्यकर्ता