भस्म आरती दौरान चलायमान व्यवस्था
महाकाल मंदिर में भस्म आरती दौरान चलायमान व्यवस्था पर जहां शहरवासी और बुद्धिजीवी पक्ष में बात कर रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर इसका विरोध भी शुरू हो गया है। पर्व या अन्य अवसरों पर उमडऩे वाली भीड़ के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ही इस व्यवस्था को शीघ्र लागू करने की बात कही थी। यदि यह व्यवस्था शुरू होती है, तो आने वाले दिनों में दलाली प्रथा पर विराम तो लगेगा ही, साथ ही निराश होकर लौटने वाले आम भक्तों को भस्म आरती में शामिल होने का अवसर भी मिलेगा।
दर्शन व्यवस्था पर मंथन का दौर
विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में भस्म आरती चलायमान दर्शन व्यवस्था पर मंथन का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री की मंशानुरूप मंदिर समिति इसे शीघ्र आरंभ भी करने वाली है, लेकिन कतिपय लोगों के विरोध के चलते इस व्यवस्था को लागू करने में विलंब हो रहा है। बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल मंदिर ही ऐसा है, जहां प्रतिदिन भस्म आरती होती है। मंदिर प्रबंध समिति ने इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन अनुमति की व्यवस्था कर रखी है, जिसके माध्यम से देश के किसी भी कौने से श्रद्धालु अपनी बुकिंग कराते हैं, और तय समय में यहां आकर दर्शन लाभ लेते हैं।
क्या है वर्तमान की स्थिति
भस्म आरती की वर्तमान स्थिति पर यदि नजर डालें तो प्रतिदिन दो से ढाई हजार श्रद्धालुओं से पहचान पत्र और संस्थाओं के लेटरपेड लेकर अनुमति प्रदान की जाती है। इसके बाद आने वालों को यह कहकर मना कर दिया जाता है, कि सीट फुल हो चुकी है, आप कल आना। ऐसे में कई लोग निराश होकर लौट जाते हैं या फिर दलालों के चक्कर में फंसते हैं।
ऐसी रहेगी चलायमान व्यवस्था
यदि सबकुछ ठीक रहा और चलायमान व्यवस्था शुरू हो जाती है, तो नंदी हॉल और गणेश मंडपम में अनुमति प्राप्त श्रद्धालुओं को व्यवस्थित रूप से बैठाया जाएगा। बॉलकनी में कार्तिकेय मंडपम से चलायमान व्यवस्था रहेगी, जिसके तहत आम श्रद्धालुओं को जिगजेग से चलाते हुए निर्गम द्वार की तरफ निकाला जाएगा। इसके लिए उन्हें न तो परमिशन लेना होगी, न ही किसी से गुजारिश का मोहताज होना पड़ेगा।
मंदिर में चलायमान दर्शन व्यवस्था पर मंथन किया जा रहा है। बहुत जल्द इसे लागू कर दिया जाएगा। इससे बैठने वाले भक्तों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। कार्तिकेय मंडपम से सभी लोगों को निकाला जाएगा।
– शशांक मिश्र, कलेक्टर।