महाकाल दरबार में चढ़ने वाले सैकड़ों किलो फूलों का उपयोग अब रसोई गैस और खाद बनाने में किया जाएगा। महाकालेश्वर मंदिर परिसर को जीरो वेस्ट करने की पहल मंदिर प्रशासनक संदीप सोनी ने शुरू की है। मंदिर के आसपास की फूलों की दुकानों को भी नोटिस देकर सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं। गौरतलब है कि महाकाल लोक बन जाने से हर दिन 60 हजार से अधिक श्रद्धालु मंदिर में आते हैं। इससे अब फूलों का वेस्ट भी बढ़ता जा रहा है। इसे देख श्रद्धा के फूलों का उपयोग भी सही ढंग से किया जा सकेगा।
मंदिर परिसर में बनेगा प्लांट
बताया जा रहा है कि मंदिर परिसर में गीला और सूखे कचरे को रिसाइकिल करने और खाद बनाने के लिए प्लांट लगाया जाने वाला है। इसमें कचरे से खाद और गैस बनाने की पूरी प्रोसेस की जाएगी। कचरे को डंप करने की बजाय उसे रिसाइकिल कर दोबारा से काम में लाना ही जीरो वेस्ट है। यह प्लांट महाकाल लोक के पार्किंग एरिया में लगाया जाएगा। यह आर्गेनिक वेस्ट टू कंपोस (owc) प्लांट है, जिसमें कचरे को यहीं पर थ्री-आर तकनीक (reduce, reuse, recycle) के जरिए गीले और सूखे कचरे का निपटारा किया जाएगा।
मंदिर परिसर से निकलने वाला फूलों का वेस्ट और अन्न क्षेत्र के वेस्ट से यह प्लांट लगातार चलता रहेगा। क्योंकि महाकाल लोक बन जाने से यहां दर्शनार्थियों की संख्या हर दिन 60 हजार से अधिक हो गई है। ऐसे में हर दिन सैकड़ों किलो फूल बाबा महाकाल को चढ़ाए जाते हैं। श्रद्धालुओं के फूलों का ऐसा उपयोग होने से उन्हें भी खुशी मिलेगी। यहां के अन्न क्षेत्र में हर दिन 5 से 6 हजार श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं, वहीं हर दिन 5-6 क्विंटल कचरा एकत्र होता है। इसके अलावा सूखा कचरा भी निकलता रहता है।
फिलहाल क्या है
फिलहाल सैकड़ों किलो कचरे को नगर निगम की यूनिट में भेजा जाता है। यहां खाद बनाई जाती है, लेकिन पूरा कचरा नहीं भेजा जाता था अब इस नई प्रोसेसिंग यूनिट लग जाने से पूरे कचरे का निपटारा किया जाएगा।