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उज्जैन

कई सत्र पहले टीम के साथ जाता था कर्मचारी, अब बंद कर दिया

संबद्धता निरीक्षण के लिए जाने वाले शिक्षक खुद ही बन गए व्यवस्थापक

उज्जैनMay 14, 2019 / 11:12 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्रति सत्र में निजी कॉलेजों का निरीक्षण करवाया जाता है। यह काम गठित विशेषज्ञ शिक्षकों का होता है। इसी के साथ एक प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी टीम की सभी व्यवस्थाओं को जुटाने का काम करती है, लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने कर्मचारी को बाहर कर सारी जिम्मेदारी खुद संभाल ली। इसके चलते निरीक्षण के दौरान शिक्षकों की मनमानी पूरी तरह से हावी हो गई। साथ ही प्रक्रिया भी कागजों पर होने लगी। अब संबद्धता प्रक्रिया में विवाद सामने आने के बाद नए सिरे से कर्मचारियों को साथ भेजने की बात उठी है।

पूर्व कुलपति ने कर दिया था बंद

विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे ने पदभार ग्रहण करते ही पूर्व के संबद्धता प्रकरणों की जांच शुरू की। इस दौरान कुलपति ने निरीक्षण व्यवस्था संभालने वाले कर्मचारियों की जगह सीधे शिक्षकों से ही सभी व्यवस्था संभालने के लिए कहा। ऐसे में शिक्षकों का गठित दल पूरी तरह स्वतंत्र हो गया और प्रशासनिक हस्ताक्षेप खत्म हो गया। हालांकि इसके बावजूद संबद्धता धांधली की सूचनाएं कार्यालय से बाहर आना बंद नही हुई।

व्यवस्थापक कर्मचारी का यह था काम

-कॉलेज से सम्पर्क कर निरीक्षण का दिनांक तय करना।

-निरीक्षण के लिए वाहन व अन्य संसाधन जुटाना।
-निरीक्षण प्रक्रिया की कागजी कार्रवाई करना।

-इसके बाद पूरी प्रक्रिया को ऑफिस में जमा करना।

अब क्या हो रहा है

शिक्षक का दल एकजुट होकर कॉलेज पहुंच जाता है। जब निजी कॉलेज को सुविधा हो। निजी कॉलेज प्रबंधन ही वीडियोग्राफी की व्यवस्था कर देते हैं। इसके बाद वह सभी दस्तावेज लेकर सीधे संबंधित दल के चेयरमैन के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार करवा कर जमा करवा देते है। ऐसे में निरीक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से कागजी बन गई है।

इनका कहना है

निरीक्षण समिति विवि अध्यादेश के तहत बनती है। इसमें प्रशासनिक कर्मचारी व अधिकारी का स्थान नहीं। पूर्व में क्या व्यवस्था थी और वह कब बंद हुई। यह जानकारी लेनी पड़ेगी।
प्रो. बालकृष्ण शर्मा, कुलपति विक्रम विवि।

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