भगवान के स्वरूपों की झांकियां सजाई गई
मालवा की लोक संस्कृति और परंपरा का महापर्व उमा-सांझी महोत्सव महाकालेश्वर मंदिर में श्राद्ध पक्ष के दौरान 25 से 28 सितंबर तक मनाया गया। महोत्सव के तहत प्रतिदिन सभा मंडप में विभिन्न विग्रहों के दर्शन हुए। नौका विहार, रंगोली और भगवान के स्वरूपों की झांकियां सजाई गई। ढोली बुआ ग्वालियरवालों का नारदीय कीर्तन हुआ, प्रवचन हॉल में गायन-वादन, नृत्य और नाटक के साथ विभिन्न संगीतमय सांस्कृतिक आयोजन हुए। मंदिर प्रांगण में रात्रि जागरण, सुंदरकांड, भजन संध्या व बच्चों की चित्रकला सहित अन्य स्पर्धाएं आयोजित हुईं।
शाम 4 बजे आरंभ हुई सवारी
महाकालेश्वर मंदिर से उमा माताजी की सवारी शाम 4 बजे राजसी वैभव के साथ आरंभ हुई। सवारी के पूर्व सभा मंडप में मंदिर प्रबंध समिति के उपप्रशासक आशुतोष गोस्वामी ने पालकी को कंधे पर उठाकर नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल जवानों द्वारा उमा माता की पालकी को सलामी दी गई। पालकी में उमा माता की रजत प्रतिमा, बैलगाड़ी में गरूड़ पर श्री माताजी की पीतल की प्रतिमा तथा दूसरी बैलगाड़ी में नंदी पर महेश विराजित होकर निकले।
इन मार्गों से होकर निकली सवारी
सवारी महाकाल घाटी, तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, नई सड़क, कंठाल, सराफा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कार्तिक चौक, मोढ़ की धर्मशाला, रामानुजकोट होकर रामघाट पहुंची, जहां मां क्षिप्रा में जवारे विसर्जित किए गए। इसके बाद सवारी पुन: आरंभ हुई जो कहारवाड़ी, बक्षी बाजार, महाकाल रोड होते हुए महाकाल मंदिर पहुंची।
8 अक्टूबर को महाकाल आएंगे दशहरा मैदान
सावन-भादौ मास के बाद वर्ष में एक बार राजाधिराज भगवान महाकाल नए शहर दशहरा मैदान आते हैं। 8 अक्टूबर को शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से सवारी आरंभ होगी। परंपरानुसार बाबा महाकाल की सवारी नगर के प्रमुख मार्गों से होकर दशहरा मैदान पहुंचेगी, रास्तेभर भव्य स्वागत होगा।