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उज्जैन

कलेक्टोरेट में सजा दिया मावे का पहाड़

व्यापारी, बोले-यदि अच्छा हो तो बिकवा दीजिए, खराब हो तो फिंकवा दीजिए , कलेक्टर-एसपी से मिलने डेढ़ घंटे डटे रहे, जांच के नाम पुलिस पर पैसे मांगने के आरोप

उज्जैनSep 24, 2019 / 11:54 pm

rishi jaiswal

कलेक्टोरेट में सजा दिया मावे का पहाड़

व्यापारी, बोले-यदि अच्छा हो तो बिकवा दीजिए, खराब हो तो फिंकवा दीजिए , कलेक्टर-एसपी से मिलने डेढ़ घंटे डटे रहे, जांच के नाम पुलिस पर पैसे मांगने के आरोप

उज्जैन मावे का उत्पादन रोजाना होता है, लेकिन हम माल का परिवहन नहीं कर पा रहे क्योंकि रास्ते में चेकिंग के डर से बस, लोडिंग वाले माल नहीं ले जा रहे। धंधा-पानी चौपट हो रहा है…कलेक्टर साहब से अनुरोध है कि वे मावे को चेक करा लें। अच्छा मिले तो बिकवा दीजिए और खराब लगे तो फिंकवा दीजिए। परिवहन के दौरान मावा रोकने व माल जब्त करने जैसी कार्रवाई के विरोध में १०० से अधिक मावा निर्माता-विक्रेताओं ने कोठी पहुंचकर अनूठा विरोध किया। खाली कढ़ाई, दूध टंकी व ३ टन मावे की पोटलियां लेकर पहुंचे इन लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया। कलेक्टर के नहीं मिलने पर सीएम के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर चले गए। निर्माता-विक्रेता एसपी को भी फरियाद सुनाना चाहते थे। इस पर लाइन में पदस्थ डीएसपी आनंद सोनी पहुंचे और समस्या सुनी। बाद में उन्होंने एसपी से बातचीत की और कहा कि अभी सर कहीं व्यस्त हैं। बात उन तक पहुंचा दी।
मिलावटी दुग्ध पदार्थों के खिलाफ जारी अभियान में पुलिस व खाद्य विभाग के दल परिवहन दौरान भी मावा रोक रहे हैं। जबकि व्यापारियों का कहना है कि हमारी दुकान-कारखानें हैं। व्यापारियों के अनुसार नमूने दुकानों से लिए जाए तो आपत्ति नहीं, लेकिन रास्ते में रोककर बगैर परीक्षण मावे को नकली व अमानक बता देना हमारे साथ अन्याय है। कतिपय अधिकारी संविधान विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, वहीं रास्तों में पुलिस वाले व्यापारियों से खुलेआम रिश्वत मांग रहे हैं। प्रदर्शन दौरान शहर सहित उन्हेल, नागदा, महिदपुर, विजयागंज मंडी, घट्टिया, तराना सहित अन्य क्षेत्र के मावा उत्पादक भी शामिल रहे। बता दें, दो दिन पहले ही हरिफाटक ब्रिज पर बस में जा रहा मावा दल ने रोक लिया था, व्यापारी इसका ही विरोध कर रहे हैं
खाली कढ़ाई व बायलर लोडिंग में ले आए…
विरोध के दौरान एक लोडिंग में निर्माता-विक्रेता मावा बनाने का बायलर भी साथ ले आए। इसके साथ कढ़ाई भी रखी हुई थी। अधिकारियों को बताया कि मावा कच्चा काम है, परिवहन नहीं होने से एक व्यापारी का कारखाना ही बंद हो गया। यहीं स्थिति अन्य लोगों की भी है। कारखाने बंद होने से सैकड़ों मजदूर-कर्मचारी बेरोजगार भी हो रहे हैं। इसलिए हम कलेक्टर कार्यालय आए हैं, ताकी मावा बेचने का इंतजाम यहीं से हो जाए।

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