गराडू की आधुनिक खेती : लाखों कमाकर दूसरों को रोजगार भी दे रहे
उज्जैनPublished: Nov 29, 2021 12:37:59 am
गजराज गराडू की रतलाम, इंदौर के अलावा अन्य शहरों में बढ़ती जा रही मांग


गजराज गराडू की रतलाम, इंदौर के अलावा अन्य शहरों में बढ़ती जा रही मांग
रुनीजा. माधवपुरा के रामप्रसाद नागर सब्जियों की आधुनिक खेती कर आज स्वयं तो लाभ ले रहे, बल्कि कई परिवारों को रोजगार भी दे रहे हैं। नागर अपने परिवार से साथ मिलकर पिछले 12 वर्षों से गराडू की खेती कर रहे हैं। आज अनुसंधान कर अपनी ही किस्म गजराज बना ली है। किसान रामप्रसाद ने बताया हम भी अन्य किसानों की तरह परम्परागत खेती करते थे, परन्तु उसमें लागत ज्यादा व लाभ कम मिलता था। इस कारण से कुछ अलग फसल उगाने का सोचा। वैसे मिर्च व टमाटर, लहसुन, अदरक की खेती कई वर्षों से करते आ रहे हैं परन्तु इन फसलो में कई बार थोड़ा कम लाभ मिलने से कुछ अलग खेती करने का सोचा। बहुत खोजबीन के बाद और सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित कर गराडू की फसल लगाई, जिससे अच्छी आमदानी हुई। नागर शुरुआत में गराडू की परम्परागत खेती करते थे। खेती पर निरन्तर शोध और सुधार करते-करते गराडू की खेती को आधुनिक खेती में बदल दिया। इस बदलाव से नागर ने खुद की गराडू की गजराज किस्म बना ली जिसका वजन 3 किलो तक है और कुछ गराडू तो 4 और 5 किलो तक हो जाते है। अब नागर एक एकड़ जमीन से दो लाख की कमाई करते है। गजराज गराडू की ठंड व वर्तमान में चल रही शादी की सीजन के चलते रतलाम, इंदौर, बडऩगर में मांग अधिक है। परन्तु इसकी मांग अब अन्य राज्यों में होने लगी है।
प्रथम वर्ष लागत थोड़ी ज्यादा
प्रथम वर्ष गराडू की खेती में एक एकड़ में करीब ४० हजार रुपए का खर्च आता है। यह खर्च जीआई तार, ड्रिप, बांस और अन्य सामान खरीदने में आता है। यह सामान एक बार खरीदी करने के बाद 6 साल तक चलते है। पानी कम होने पर ड्रिप ईरिगेशन टपक सिंचाई का सहारा लेकर भी गराडू की खेती की जा सकती है। गराडू की खेती के लिए जीवाश्म युक्त उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी , काली मिट्टी अच्छी होती है, जहां पर गराडू की खेती करना है। उस खेत में जल निकास की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए और जिस खेत में गराडू की बुआई करना है उस खेत में गोबर खाद अनिवार्य डाले जिससे उत्पादन अच्छा होगा।