उज्जैन जैसे सामान्य शहर में ही फास्ट फूड का चलन इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि सिर्फ बच्चे ही नहीं हर उम्र के लोग कभी स्वाद तो कभी पार्टी के नाम पर इन्हें खा रहे हैं। भले ही स्वाद में यह अच्छे लगे लेकिन इनके इस स्वाद के पीछे कई जानी-अनजानी बीमारियां भी छिपी होती हैं। फास्टफूड नुकसानदायक है, यह जानते हुए भी कई अभिभावक बच्चों की जिद के आगे समझौता कर लेते हैं। इसके विपरित कुछ एेसे भी हैं, जो बच्चों की सेहत से समझौता किए बिना उनकी ख्वाहिश पूरी करने के रास्ते निकाल लेते हैं। शनिवार को नेशन फास्टफूड डे है, इस मौके पर पत्रिका ने कुछ मम्मियों से जाना कि वे कैसे इस समस्या का सामना करती है और किस तरह बच्चों को स्वाद के साथ पौष्टिकता देती है। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक से भी जाना कि फास्टफूड के कारण किस तरह बच्चों में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं बढ़ रही है। एक रिपोर्ट-
एक्सपर्ट व्यू
बच्चों में भोजन के संस्कार देने की जरूरत भोजन में फाइबर होना अति आवश्यक है। गेहूं का चापड़, सलाद या फलों को ज्यूस की जगह चबाकर खाने से शरीर को फाइबर मिलता है। इनके सेवन के साथ पर्याप्त पानी पीने से फाइबर फूलता है और शरीर को प्रोटीन, विटामिन, न्यूट्रीशन मिलते हैं। फाइबर के कारण मोशन ठीक से होते हैं, जिससे पेट साफ रहता है। फास्ट फूड में फाइबर की मात्रा लगभग ना के बराबर होती है। एेसे में खाया गया फास्टफूड आंतों में ठीक से घूमता भी नहीं है और मोशन में परेशानी होती है। इनसे प्रोटीन, विटामिन आदि भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते। यूं कहें कि यह पेट तो भर देता है लेकिन शरीर को जरूरी ऊर्जा नहीं दे पाता है। फास्टफूड का उपयोग, आम बात हो रही है जबकि यह काफी नुकसान दायक है। विशेषकर बच्चों के लिए। बच्चों को गैस, मोशन ठीक से नहीं होना, पेट दर्द जैसी समस्याओं को लेकर मेरे पास कई पेरेंट्स आते हैं। पूछने पर अधिकांश मामलों में यही सामने आता है कि बच्चा घर का खाना नहीं खाता और फास्ट फूड से ही पेट भरता है। दवा देने के साथ में अभिभावकों को यही कहता हूं कि बच्चों को फास्ट फूड देना पूरी तरह बंद करें। दरअसल बच्चे क्या खा रहे हैं, यह भी घर-परिवार के संस्कार पर निर्भर करता है। बच्चों में सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि अच्छा, ताजा व पौष्टिक आहार लेने का संस्कार देना जरूरी है। इस कार्य के लिए माता-पिता के साथ ही परिवार के वृद्धजनों का सहयोग भी जरूरी है।
– डॉ. उदय जेजूरिकर, सर्जिकल ग्रेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट
बच्चे तो जिद करेंगे ही, हमें समझाना होगा
फास्टफूड का चलन बढ़ रहा है तो बच्चों का जिद करना या उनकी डिमांड करना स्वभाविक है लेकिन हमें पता है कि यह स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है। मैं कभी ऑनलाइन फूड ऑर्डर नहीं करती और बाहर कुछ खाने से भी बचते हैं। कई बार बच्चे रोज सामान्य खाना खाकर बोर हो जाते हैं, वे खाने को इंजाय कर सकें इसके लिए घर में ही एेसे आइटम रखती हूं जिनकी मदद से जल्द कुछ स्वादिष्ट व रूटीन से अलग तैयार हो जाए। मेरा मानना है कि हम बच्चों को जैसा खाने की आदत विकसित करेंगे, वे वैसा ही खाना पसंद करेंगे।
– विजया जैन, गृहिणी, विवेकानंद कॉलोनी
घर के स्वाद की आदत डाली, बाहर का नहीं खाते
बच्चों के खाने की आदत घर से ही विकसित होती है। शुरुआत से ही हमने बच्चों को बाहर खाने की आदत नहीं डाली तो अब वे ही बाहर का कुछ खाने से बचते हैं। मैं भी समय-समय पर टेस्ट बदलने के लिए कुछ अलग और स्वादिष्ट बनाती रहती हूं, इसलिए बच्चों को घर में बना हुआ ही खाना पसंद है। वे बर्गर, रेप रोल आदि घरेलू रेसिपी से तैयार कर बच्चों को देती हंू, उन्हें यह काफी पसंद हैं। कभी वे कुछ फरमाइश करते भी हैं तो मैं घर पर ही उसे बनाती हूं। किचन में एेसी कई सामग्री होती हैं जिनका उपयोग करते हुए हर दो-चार दिन में कुछ नई डिश तैयार की जा सकती है।
– वैशाली कौवठेकर, गृहिणी, सांकेत नगर