गृह निर्माण संस्था कर्ताधर्ताओं ने कूटरचना कर बेचे प्लॉट
उज्जैन•Sep 05, 2018 / 01:05 am•
Lalit Saxena
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उज्जैन. नीलगंगा स्थित पौराणिक तालाब के एक भाग पर मुरम डालकर किए कब्जे को अब प्रशासन मुक्त कराएगा। यहां प्लॉट निर्मित करने दर्जनों डंपर मुरम डाली गई थीं। तालाब को मूल स्वरूप में लाने अब निगम प्रशासन यहां की मुरम निकलवाकर रत्नाखेड़ी स्थित कपिला गोशाला भेजेगा। मंगलवार को निगमायुक्त प्रतिभा पाल, एसडीएम अनिल बनवारिया व अन्य अधिकारियों ने मौका निरीक्षण कर कब्जा हटाने संबंधी कार्रवाई शुरू कराई। अब इस तालाब का राजस्व रिकॉर्ड अनुसार नए सिरे से सीमांकन किया जाएगा। बता दें, तालाब के एक भाग पर श्याम गृह निर्माण संस्था के कर्ताधर्ताओं ने कूटरचना कर प्लॉट बनाकर बेच दिए थे। इन कागजातों के जरिए तालाब भूमि पर कब्जा की कुत्सित प्रयास हुए थे।
नीलगंगा तालाब को बचाने पत्रिका ने लगातार खबरें प्रकाशित की और जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर खींचा। इसके बाद निगम प्रशासन ने रविवार को तालाब के बीच आधी बनी एरन की दीवार को तोड़ा और अब यहां डाली गई मुरम को निकालने की कार्रवाई होगी। निगम अधिकारियों के सुस्त रवैए के कारण कार्रवाई शिथिल पड़ी थीं, लेकिन तालाब बचाओं संघर्ष समिति द्वारा मोर्चा खोलने के बाद ये कार्रवाई शुरू हुई। सूत्रों के अनुसार क्षेत्रीय पार्षद दुर्गा चौधरी के पति शक्तिसिंह चौधरी की शह पर ही भूमाफिया ने यहां भराव किया है। उन्हीं की अनुशंसा पर यहां निगम खर्च से मुरम व एरन की दीवार बनाने का ऑनलाइन टेंडर जारी हुआ था।
पहले के सीमांकन में भी गड़बड़ी
दीवार निर्माण के विवादों में पडऩे दौरान कुछ माह पहले राजस्व अमले ने तालाब भूमि सीमांकन किया था। लेकिन तब पटवारी कमलेश शर्मा ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर गलत ढंग से सीमांकन पेश कर कब्जा करने वालों के हित मेंं रिपोर्ट दी थीं। अब प्रशासन को चाहिए वे तालाब को संरक्षित करने आसपास हुए अन्य अतिक्रमणों को भी हटवाए।
जिन्होंने टेंडर निकाला उन पर भी हो कार्रवाई
तालाब के बीचो बीच एरन की दीवार बनाने निगम से 10 लाख रुपए का टेंडर क्रमांक 3708 जारी हुआ था। जब इंजीनियरों ने तालाब भूमि सीमांकन कराए बगैर ही एस्टीमेट स्वीकृत कर दीवार बनाने की फाइल बढ़ा दी। वह तो गनीमत रही वर्क ऑर्डर जारी होने से पहले ही ये मामला खुल गया। आश्चर्य की बात यह है कि पार्षद पति के भरोसे में ठेकेदार ने यहां आधी दीवार कार्यादेश से पहले ही बना दी। अब इस मामले में उन इंजीनियरों पर भी कार्रवाई होना चाहिए, जिन्होंने कब्जा कराने में अपनी भूमिका निभाई। उस दौरान इइ रामबाबू शर्मा ही थे। वहीं भराव वाली जगह पर निगम के एई अनिल जैन की पत्नी के नाम भी एक भूखंड की रजिस्ट्री है।