मतदान किया जा सकता था, लेकिन…
इस बार मतदान के लिए मतदान पहचान पत्र के साथ ही कुल 12 प्रकार के परिचय पत्र मान्य किए गए थे। इनमें से किसी भी एक परिचय पत्र को दिखाकर मतदान किया जा सकता था, लेकिन इनमें प्रशासन द्वारा बांटी गई मतदाता पर्ची शामिल नहीं थी। जानकारी के अभाव में रविवार को कई मतदाता मतदान करने के लिए उक्त पर्ची लेकर मतदान केंद्र पहुंचे। केंद्रों पर पर्ची को मतदान के लिए अमान्य कर दिया गया। मतदाताओं ने पर्ची पर इपीक नंबर लिखा होने, फोटो प्रकाशित होने का हवाला भी दिया लेकिन पर्ची मान्य नहीं की गई। इससे विवाद की स्थिति बनी। सेठीनगर कैम्ब्रिज विद्यालय में वयोवृद्ध गुलाबबाई पुत्र के साथ मतदान करने आई थीं। पहचान पत्र नहीं होने के कारण उन्हें मतदान नहीं करने दिया गया। पुत्र ने इस पर खासी नाराजगी भी जताई। बाद में गुलाबबाई बिना मतदान किए ही लौट गईं। इसी तरह माधव कॉलेज में भी एक बुजुर्ग को मतदाता पर्ची से मतदान नहीं करने देने पर उन्होंने आक्रोश व्यक्त किया। उज्जैन पब्लिक स्कूल में भी कई लोगों को पर्ची से मतदान नहीं करने देने पर बेरंग लौटना पड़ा। इसको लेकर कांग्रेस नेता राजू खलीफा ने अधिकारियों के सामने आपत्ति जताई जिस पर विवाद की स्थिति बन गई। मतदाता पर्ची के कारण बनी गफलत के चलते कई मतदाताओं को दो बार केंद्र के चक्कर काटना पड़े वहीं मतदान करने लौटे ही नहीं।
सूची में नाम नहीं होने से मायूसी
वार्ड 4 के खंडेलवाल नगर निवासी परमानंद खत्री। इन्होंने विधानसभा चुनाव में सेंटपॉल स्कूल केंद्र पर वोट डाला था। लेकिन इस बार के चुनाव में इनकी नाम कट गया। एक घंटे तक यहां-वहां नाम तलाशते रहे, लेकिन मायूस होकर लौटे। बातचीत में बोले मेरी बेटी का नाम है लेकिन लिस्ट से मेरा नाम कट गया, इसके कारण वंचित रहा।