सिटी बस सेवा के नाम पर शहर में 39 में से महज 6-7 बसें ही सड़कों पर हैं। इन बसों को भी लंबे समय से निगम ही चला रहा है। बसों के संचालन के लिए निगम ने तीसरी बार निविदा जारी की थी लेकिन इस बार भी किसी ने टेंडर नहीं डाला है। एेसे में बस संचालन के लिए निगम को अब चौथी बार टेंडर जारी करना होगा। नई संचालन एजेंसी तय नहीं होने तक निगम को ही बसों का संचालन जारी रखना होगा ताकि प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद न हो। बता दें, सिटी बस के लिए इससे पूर्व जारी टेंडर में भी किसी कंपनी ने भागीदारी नहीं की थी।
संचालन में इसलिए रुचि नहीं
– प्रोजेक्ट शुरुआत से ही विवादों में रहा है।
– पूर्व संचालक कंपनियों का अनुभव खराब रहा। निगम व प्रशासन ने अपेक्षित सहयोनहीं किया।
– कुछ रूट को छोड़कर अधिकांश पर यात्रियों की कमी।
– शहर में अत्यधिक संख्या में ऑटो-मैजिक की उपलब्धता।
– सीएनजी बसों की खस्ता हालत। पाट्र्स की कमी, संधारण में परेशानी।
– बस स्टॉफ के पुरानी लंबित मांगें, कर्मचारी संगठनों की समस्या।
उपनगरीय सेवा के लिए भी एक ही टेंडर
सिटी बस के साथ ही उपनगरीय बस सेवा अंतर्गत भी बस संचालन के लिए टेंडर जारी किया गया है। हाल ही में इसकी टेक्निकल बीड खोली गई, जिसमें महज एक ही टेंडर प्राप्त हुआ। यह टेंडर भी वर्तमान में बसों का संचालन कर रही मेसर्स अर्थ कनेक्ट ट्रास-वे प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ही डाला गया है। मंगलवार को इसकी फाइनेंशियल बीड खोली जाएगी। वर्तमान में कंपनी करीब 20 बस चला रही हैं जो उज्जैन व फतेहाबाद, शाजापुर, देवास, तराना आदि के बीच चल रही हैं। इसके संचालन अनुबंध की अवधि भी लंबे समय से खत्म है। बावजूद नया ठेका नहीं होने के कारण वर्तमान ठेके की अवधि ही अस्थायी रूप से बढ़ा रखी है।