scriptvideo : शिवनवरात्रि : महाकाल के इस रूप को पहले कभी नहीं देखा होगा, शेषनाग धारण करने वाले शिव ने बनाया ऐसा स्वरूप | Shivratri festival in Mahakal temple | Patrika News

video : शिवनवरात्रि : महाकाल के इस रूप को पहले कभी नहीं देखा होगा, शेषनाग धारण करने वाले शिव ने बनाया ऐसा स्वरूप

locationउज्जैनPublished: Feb 07, 2018 11:32:11 am

Submitted by:

Lalit Saxena

महाकालेश्वर मंदिर स्थित नैवेद्य कक्ष में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया।

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उज्जैन. भगवान शिव के गले में रहने वाले शेषनाग के स्वरूप में जब महाकाल नजर आए तो भक्तजन जय-जयकार कर उठे। श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि उत्सव उल्लासपूर्वक मनाया जा रहा है। शिवनवरात्रि के दूसरे दिन मंगलवार को प्रात: महाकालेश्वर मंदिर स्थित नैवेद्य कक्ष में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया।

11 ब्राह्मणों ने किया लघुरूद्र पाठ
कोटितीर्थ कुण्ड के पास कोटेश्वर महादेव के अभिषेक-पूजन के पश्चात शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एवं एकादश, एकादशनि लघुरुद्र पाठ किया गया। पूजन का यह क्रम महाशिवरात्रि तक प्रतिदन चलेगा।

सायंकाल पूजन के बाद लाल रंग के वस्त्र
सायंकाल पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर को लाल रंग के वस्त्र धारण कराए गए। साथ ही भरत पुजारी द्वारा भांग का शृंगार किया गया। बाबा महाकाल को शेषनाग धारण करवाकर मुकुट, मुण्डमाला, फलों की माला धारण कराई गई।

राजा महाकाल मनभावन शृंगार
शिवनवरात्रि की पावन बेला में महाकाल का १३ फरवरी तक प्रतिदिन अलग-अलग वस्त्र, आभूषण, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र आदि से शृंगारित किया जाएगा। १३-१४ फरवरी की मध्यरात्रि को राजाधिराज सेहरा धारण करेंगे। समापन महाशिवरात्रि पूजन से होगा।

9 दिवसीय पर्व
महाकालेश्वर मंदिर में 9 दिवसीय शिवनवरात्रि पर्व चल रहा है। शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में प्रतिदिन 11 ब्राह्मणों द्वारा भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक रूद्र पाठ से किया जा रहा है, साथ ही सायं पूजन के बाद प्रतिदिन बाबा महाकाल को नवीन वस्त्र धारण कराए जा रहे हैं।

भोग आरती दोपहर में
ज्योतिर्लिंग महाकाल की रोज सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती दोपहर में की जा रही है। आरती-पूजा के समय में यह परिवर्तन शि नवरात्रि ?ि पर्व चलने के कारण हुआ है। मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व 13 फरवरी को मनेगा। इसके पहले आठ दिन नवरात्रि में भगवान की दिनचर्या में बदलाव होगा। पंडित गर्भगृह में सुबह 9.45 से दोपहर 12.45 बजे तक महाकाल का अभिषेक करेंगे। इस कारण सुबह 10.30 बजे की भोग आरती 12.45 बजे अभिषेक समाप्ति के बाद होगी। शाम के शृंगार के कारण शाम 5 बजे की संध्या पूजा दोपहर 3 बजे होगी।

14 को सेहरा दर्शन, दोपहर 12 बजे भस्मारती
शिवरात्रि ि पर्व मनने के बाद बाबा महाकाल फूलों व फलों के सेहरा में शृंगार दर्शन देंगे। १४ फरवरी को दोपहर में 12 बजे भस्म आरती होगी। वर्ष में एक बार शिवरात्रि के दूसरे दिन महाकाल की भस्मारती तड़के 4 बजे की जगह दिन में की जाती है। भस्म आरती बाद भोग आरती होगी। 17 फरवरी को पंच मुघौटे के दर्शन होंगे।

किस दिन कौन सा शृंगार
शिव नवरात्रि के प्रारंभ में भगवान महाकाल को हल्दी, उबटन लगाकर दूल्हा बनाकर दोपहर में संध्या पूजा बाद भगवान को नवीन जरी के वस्त्र एवं सोला धारण कराया जाएगा। 6 को शेषनाग, 7 को घटाटोप, 8 को छबीना, 9 को होलकर, 10 को मनमहेश, 11 को उमा महेश, 12 को शिव तांडव रूप में दर्शन देंगे। 13 फरवरी को दिन-रात शिवरात्रि की पूजा चलेगी। महाशिवरात्रि की रात्रि में मंदिर गर्भगृह में महाकालेश्वर भगवान की महापूजा होगी। इसके बाद 14 फरवरी को प्रात: 4 बजे भगवान को सप्तधान का मुघौटा धारण कराया जाएगा। बाबा महाकाल सवामन फूलों का पुष्प मुकुट धारण कराया जाएगा।

शिवनवरात्रि के दौरान हरी कीर्तन
शिवनवरात्रि के दौरान 5 फरवरी से 14 फरवरी तक मंदिर प्रांगण में नवग्रह मंदिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर 1909 से कानडकर परिवार इन्दौर द्वारा वर्षों से परंपरानुसार हरी कीर्तन की सेवा दी जा रही है। इसी क्रम में हरिभक्त परायण पं.रमेश कानडकर द्वारा हरी कीर्तन का आयोजन होगा।

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