महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि के प्रथम दिन सोमवार को मंदिर के नैवेद्य कक्ष में भगवान चन्द्रमोलेश्वर के पूजन के साथ कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित कोटेश्वर महादेव एवं महाकालेश्वर भगवान के पूजन के साथ 9 दिवसीय शिवनवरात्रि के पूजन का संकल्प लिया जाएगा। शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में प्रतिदिन 11 ब्राह्मणों द्वारा भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक रूद्र पाठ से किया जाएगा। सायं पूजन के बाद बाबा महाकाल को नवीन वस्त्र धारण कराएंगे।
भोग आरती दोपहर में
ज्योतिर्लिंग महाकाल की रोज सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती सोमवार से दोपहर में की जाएगी। आरती-पूजा के समय में यह परिवर्तन शि? नवरात्रि ि पर्व चलने के कारण होगा। मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व 13 फरवरी को मनेगा। इसके पहले आठ दिन नवरात्रि में भगवान की दिनचर्या में बदलाव होगा। पंडित गर्भगृह में सुबह 9.45 से दोपहर 12.45 बजे तक महाकाल का अभिषेक करेंगे। इस कारण सुबह 10.30 बजे की भोग आरती 12.45 बजे अभिषेक समाप्ति के बाद होगी। शाम के शृंगार के कारण शाम 5 बजे की संध्या पूजा दोपहर 3 बजे होगी।
14 को सेहरा दर्शन, दोपहर 12 बजे भस्मारती
शिवरात्रि ?? पर्व मनने के बाद बाबा महाकाल फूलों व फलों के सेहरा में शृंगार दर्शन देंगे। १४ फरवरी को दोपहर में 12 बजे भस्म आरती होगी। वर्ष में एक बार शिवरात्रि के दूसरे दिन महाकाल की भस्मारती तड़के 4 बजे की जगह दिन में की जाती है। भस्म आरती बाद भोग आरती होगी। 17 फरवरी को पंच मुघौटे के दर्शन होंगे।
किस दिन कौन सा शृंगार
शिव नवरात्रि के प्रारंभ में भगवान महाकाल को हल्दी, उबटन लगाकर दूल्हा बनाकर दोपहर में संध्या पूजा बाद भगवान को नवीन जरी के वस्त्र एवं सोला धारण कराया जाएगा। 6 को शेषनाग, 7 को घटाटोप, 8 को छबीना, 9 को होलकर, 10 को मनमहेश, 11 को उमा महेश, 12 को शिव तांडव रूप में दर्शन देंगे। 13 फरवरी को दिन-रात शिवरात्रि की पूजा चलेगी। महाशिवरात्रि की रात्रि में मंदिर गर्भगृह में महाकालेश्वर भगवान की महापूजा होगी। इसके बाद 14 फरवरी को प्रात: 4 बजे भगवान को सप्तधान का मुघौटा धारण कराया जाएगा। बाबा महाकाल सवामन फूलों का पुष्प मुकुट धारण कराया जाएगा।
शिवनवरात्रि के दौरान हरी कीर्तन
शिवनवरात्रि के दौरान 5 फरवरी से 14 फरवरी तक मंदिर प्रांगण में नवग्रह मंदिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर 1909 से कानडकर परिवार इन्दौर द्वारा वर्षों से परंपरानुसार हरी कीर्तन की सेवा दी जा रही है। इसी क्रम में हरिभक्त परायण पं.रमेश कानडकर द्वारा हरी कीर्तन का आयोजन होगा।